राजकीय सम्मान के साथ शहीद गौतम को नम आंखों से दी गयी अंतिम विदाई
पार्थिव शरीर के आते ही शहीद गौतम अमर रहे के नारों से गूंज उठा गांव
- झारखंड के पश्चिमी सिंहभूमि जिले के तुंबा जंगल में 14 अगस्त को हुई थी नक्सलियों के साथ मुठभेड़
केटी न्यूज/आरा
देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन पहले झारखंड में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद भोजपुर के जांबाज सपूत गौतम कुमार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। बुधवार की सुबह उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव शाहपुर के रंदाडीह पहुंचते ही अपने वीर सपूत का अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गांव सहित आसपास का पूरा इलाका गौतम कुमार अमर रहे और जबतक सूरज चांद रहेगा, गौतम तेरा नाम रहेगा के नारों से गूंज उठा।
इधर, बेटे का पार्थिव शरीर देख उनके घर में कोहराम मच गया। परिजनों के चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। ताबूत में तिरंगे में लिपटे बेटे का पार्थिव शरीर देखती ही मां धर्मशीला देवी फफक पड़ी। बेटे के पार्थिव शरीर से लिपट गयी और रोने लगी। शहीद के तीन भाई और बहन का रो-रोकर बुरा हाल था। उसके बाद शहीद गौतम का बक्सर के चरित्रवन स्थित गंगा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। छोटे भाई मोहित ने मुखाग्नि दी। उससे पहले शहीद को उनके पैतृक गांव में श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। शाहपुर विधायक राहुल तिवारी, जिला परिषद अध्यक्ष आशा देवी, एसडीपीओ राजीव चंन्द्र सिंह, शाहपुर बीडीओ राकेश कुमार, सीओ श्रेया मिश्रा, बिहिया इंस्पेक्टर कमलेश्वर कुमार सिंह, शाहपुर थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष बलिराम यादव, मुखिया बीरबल सिंह व शिक्षक विजय कुमार समेत काफी संख्या में लोगों द्वारा अपने जांबाज सपूत को पुष्प अर्पित कर नमन किया गया। उस अवसर पर शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
हाथ में तिरंगा लिए लोगों ने लगाए गगनभेदी नारे :
जांबाज गौतम कुमार की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही लोग उनके दर्शन को बेताब थे। शहीद के पार्थिव शरीर लाये जाने की सूचना मिलने पर काफी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए बुधवार की सुबह ही तिरंगा लेकर बिहिया चौरास्ता पहुंचे। पार्थिव शरीर पहुंचते ही बिहिया चौरास्ता इलाका शहीद गौतम अमर रहे के गगनभेदी नारे गूंज उठा। उसके बाद जुलूस की शक्ल में उनका पार्थिव शरीर उनके गांव पैतृक रंदाडीह लाया गया। उस दौरान काफी संख्या में बाइक सवार लोग हाथ में तिरंगा लहराते और शहीद गौतम अमर रहे जैसे नारे लगा रहे थे। गांव की गलियों से लेकर चौक चौराहे तक शहीद का दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जमा रही। घर की छतों से महिलाएं भी गांव के बेटे को नमन कर धन्य हो रही थी। शहीद के पार्थिव शरीर के साथ झारखंड के एसटीएफ इंस्पेक्टर रोहित कुमार, एसआई अशोक खलको के अलावा जगदीशपुर एसडीपीओ राजीव चंद्र सिंह, इंस्पेक्टर कामेश्वर सिंह, शाहपुर थाना प्रभारी प्रमोद कुमार और एएसआई राजेंद्र सिंह सहित काफी संख्या में पुलिस के जवान भी थे।
पिता की मृत्यु के बाद बाल सिपाही के रूप में लगी थी नौकरी :
झारखंड पुलिस बल में बाल सिपाही के रूप में बहाल गौतम कुमार ने आठ साल की सेवा में नक्सलियों से मुठभेड़ में अपना प्राण न्योछावर कर दिया। 14 अगस्त को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के तुंबा के जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में वह शहीद हो गए। बताया जा रहा है कि गौतम कुमार के पिता ज्वाला पासवान झारखंड पुलिस बल में तैनात थे। वर्ष 2013 में बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गयी थी। उसके दो साल बाद 2015 में गौतम कुमार की बाल सिपाही के रूप में नौकरी लगी थी। उनकी पहली पोस्टिंग रामगढ़ बाल गृह में हुई थी। फिलहाल वह जगुआर झारखंड एसटीएफ में हवलदार के पद पर थे। बताया जा रहा है 11 अगस्त को तुंबा जंगल में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। उसमें एक इनामी नक्सली मारा गया था। एक सिपाही भी शहीद हो गया था। उसके बाद से पुलिस तुंबा जंगल में लगातार सर्च अभियान चला रही थी। उसी क्रम में 14 अगस्त को भी झारखंड पुलिस की टीम जगंल में पेट्रोलिंग कर रही थी। तभी नक्सलियों ने पुलिस पर हमला कर दिया गया था। उस दौरान पुलिस की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गयी थी। उसमें पलामू निवासी एक दारोगा और भोजपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के रंदाडीह गांव के रहने वाले हवलदार गौतम कुमार शहीद हो गए।