मुंबई से 36 घंटे बाद आया मुन्ना का शव, केसठ में छाया मातम

प्रखंड क्षेत्र के केसठ गांव में शुक्रवार की शाम उस समय हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला, जब मुंबई में हुई दर्दनाक दुर्घटना में जान गवाने वाले 35 वर्षीय मुन्ना महतो का शव 36 घंटे बाद गांव पहुंचा। एम्बुलेंस के पहुंचते ही पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पलभर में चीख पुकार में बदल गया। घर के आंगन में रखे ताबूत को देखते ही मृतक की पत्नी पुतुल कुमारी बेसुध होकर गिर पड़ी। मां और पिता भी बार बार बेहोश होते रहे। पूरे घर में ऐसा विलाप गूंज उठा कि देखने वालों की आंखें भी नम हो गईं।

मुंबई से 36 घंटे बाद आया मुन्ना का शव, केसठ में  छाया मातम

केटी न्यूज/केसठ। 

प्रखंड क्षेत्र के केसठ गांव में शुक्रवार की शाम उस समय हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला, जब मुंबई में हुई दर्दनाक दुर्घटना में जान गवाने वाले 35 वर्षीय मुन्ना महतो का शव 36 घंटे बाद गांव पहुंचा। एम्बुलेंस के पहुंचते ही पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पलभर में चीख पुकार में बदल गया। घर के आंगन में रखे ताबूत को देखते ही मृतक की पत्नी पुतुल कुमारी बेसुध होकर गिर पड़ी। मां और पिता भी बार बार बेहोश होते रहे। पूरे घर में ऐसा विलाप गूंज उठा कि देखने वालों की आंखें भी नम हो गईं।

बच्चों के क्रंदन-चित्कार माहौल को और भी दहला देने वाला था। चार वर्षीय बेटा और पांच वर्षीय बेटी बार बार ताबूत के पास जाकर पापा- पापा उठो ना, कहकर रो रहे थे। वहां मौजूद ग्रामीण बच्चों की यह पुकार सुनकर खुद को रोक नहीं पाए और लोग वहीं फूट-फूट कर रो पड़े।मिली जानकारी के अनुसार मृतक ढाई महीने पहले ही गांव से काम के लिए मुंबई गया था। वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी लेकर गांव आया था और परिवार के लिए मेहनत करने फिर लौट गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार वह हमेशा के लिए घर लौट आया।

परिजनों ने बताया कि हादसे के बाद कंपनी प्रशासन द्वारा शव को एयरलाइंस से पटना भेजवाया गया, जिसके बाद पटना से एम्बुलेंस के जरिए शव को गांव लाया गया। लंबी यात्रा के बाद शुक्रवार की शाम शव के पहुंचते ही गांव में शोक और चीख पुकार का माहौल बन गया। परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक मुंबई के पनवेल के वर्ड इलाके में स्थित जिंदल कंपनी के एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता था। गुरुवार को निर्माण कार्य के दौरान अचानक ऊपर से भारी स्ट्रिंग गिर गई, जो सीधे उसके ऊपर आ गिरी।

हादसा इतना भीषण था कि मौके पर ही उसकी मौत हो गई। घटना के बाद मजदूरों में अफरा तफरी फैल गई और कंपनी ने परिवार को इसकी सूचना दी।हादसे की खबर पहुंचते ही गांव में मातम पसर गया था, लेकिन शव के पहुंचते ही यह मातम एक असहनीय पीड़ा में बदल गया। मृतक परिवार का मुख्य सहारा था। उसकी असमय मृत्यु ने पत्नी, दो छोटे बच्चों, बुजुर्ग माता पिता और पूरे परिवार को गहरे संकट में धकेल दिया है।परिजनों ने बताया कि दाह संस्कार गांव की ही निजी जमीन पर कराया जाएगा।शव पहुंचते ही  सिर्फ एक ही आवाज गूंजती रही मां का करुण विलाप, पत्नी की चीखें और बच्चों की पुकार, जिसने पूरे गांव को शोक और सदमे में डूबा दिया।मौके पर पंचायत मुखिया अरविंद कुमार यादव उर्फ गामा पहलवान भी परिजन के पास पहुंचे और हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया।