बाजार से एनसीईआरटी की पुस्तकें नदारद, बढ़ीं छात्रों, अभिभावकों की मुश्किलें
बाजारों में एनसीईआरटी के किताबों का टोटा बना हुआ है। ऐसे में छात्राओं के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

केटी न्यूज/चंदौली।
नए सत्र में स्कूलों के खुलने की तैयारी शुरू हो चुकी है, लेकिन छात्रों और उनके अभिभावकों के मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। विद्यालय प्रशासन जहां एनसीईआरटी की किताबों को कोर्स में चलाने की बात कर रहे हैं वही बाजारों में एनसीईआरटी के किताबों का टोटा बना हुआ है। ऐसे में छात्राओं के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
प्राइवेट कंपनियों की पुस्तकों की अपेक्षा एनसीईआरटी की किताबों की कीमतें बेहद सस्ती हैं और इसमें दुकानदारों को मुनाफा भी काफी कम है जिसकी वजह से दुकानदार इसे बेचना ही नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि बाजार में इनकी संख्या बेहद कम है जिसे कई कई दुकानदार ऐसे ऊंचे दामों पर भी बेच रहे हैं। कुल मिलाकर एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है। वहीं प्राइवेट कंपनियों की किताबें काफी ऊंचे दामों पर बिक्री की जाती है और जिसका मुनाफा भी काफी ज्यादा होता है दुकानदार उन्हें बेचने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। आईसीएसई बोर्ड की गणित की किताब जहां 550 रुपए की मिल रही है वहीं सीबीएसई बोर्ड में चलने वाली एनसीईआरटी की गणित की पुस्तक का दाम केवल 155 रुपये ही है। वहीं दूसरी तरफ छोटी कक्षाओं की प्राइवेट किताबों से दुकानें अटी पड़ी हैं। इन किताबों के खरीददार बहुत ही कम निकल रहे हैं। इनकी कीमतें भी काफी अधिक है जिसकी वजह से अभिभावक पुरानी किताबों की व्यवस्था में जुटे हुए नजर आ रहे हैं। दुकानदार इन्हें प्रिंट रेट पर ही बेचते हैं जिसकी वजह से अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एनसीईआरटी की किताबों को ढूंढते हुए अभिभावक विवेक सिंह चंदौली के संजय नगर से सपरिवार 20 किलोमीटर दूर मुगलसराय तक पहुंच चुके थे लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जिले के किसी भी कस्बे में एनसीईआरटी की किताबें सहज रूप में उपलब्ध नहीं है। थक हार कर अभिभावक स्कूलों में शिकायत करने का मन बना रहे हैं।