भगवान से मिलने के लिए चढ़ाने पड़ते हैं भक्ति के नौ सोपान : इन्द्रेश जी महाराज

भगवान से मिलने के लिए चढ़ाने पड़ते हैं भक्ति के नौ सोपान : इन्द्रेश जी महाराज

- सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन हुई नवधा भक्ति की व्याख्या

- आत्मा से परमात्मा के मिलन का महोत्सव है सिय पिय मिलन महोत्सव

केटी न्यूज/बक्सर

पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 53वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार की प्रात: बेला से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए। आश्रम के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी का नवाह पारायण पाठ किया गया। तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टांग हरिकीर्तन दूसरे दिन भी जारी रहा। वृंदावन के श्रीराम शर्मा एवं श्री कुंजबिहारी शर्मा जी के निर्देशन में रासलीला के तहत श्री कृष्ण भगवान के बाल लीला का मंचन किया गया। सोमवार से प्रारंभ नवदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास श्रीइन्द्रेश जी महाराज ने भागवत जी के मंगलाचरण एवं नवधा भक्ति की व्याख्या से सबका मन मोह लिया। 

श्री इन्द्रेश जी ने कहा कि जब सरस्वती नदी के तट पर महर्षि वेदव्यास जी श्रीमद्भागवत की रचना करने के लिए बैठे, तो 33 कोटि देवताओं की दृष्टि इसी बात पर लगी थी कि भागवत जी किसे प्रथम प्रणाम करते हैं। जहां भागवत जी ने अपनी बुद्धि की पराकाष्ठा दिखाते हुए परम सत्य को प्रणाम किया। जिससे की समस्त देवताओं को प्रणाम हो गया और कोई नाराज नहीं हुआ श्रीमद्भागवत जी के प्रथम श्लोक में कहा गया है कि जो अभिज्ञ है, अनभिज्ञ नहीं। जिन्होंने आदि कवि ब्रह्मा जी सहित सभी देवताओं को भी अपनी लीला से मोहित कर रखा है। पंचतत्व जिनके अधीन है। जो पृथ्वी पर अपने सुंदर ज्ञान को प्रस्थापित करने के लिए आए हैं। जो जन्म मरण के बंधन से पूर्णतया मुक्त हैं, ऐसे परम सत्य को मैं प्रणाम करता हूं। श्री इन्द्रेश जी ने कहा कि वह परम सत्य श्री ठाकुर जी का नाम ही है।  श्री इंद्रेश जी ने आगे कहा कि यह सिय पिय मिलन महोत्सव आत्मा से परमात्मा के मिलन का महोत्सव। उन्होंने नवधा भक्ति की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान से मिलने के लिए मानव को भक्ति के नौ सोपान चढ़ाने पड़ते हैं। जिसे नवधा भक्ति कहा गया है। महोत्सव के दौरान मिथिला के श्रीविश्वनाथ शुक्ल श्रृंगारी जी के द्वारा पदगायन किया गया। वहीं, रात्रि में आश्रम के परिकरों के द्वारा जय विजय प्रसंग का मंचन किया गया।