नीतीश सरकार को आरक्षण मामलें में लग सकता है झटका
सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।
केटी न्यूज़/बिहार
सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है।बिहार सरकार ने राज्य में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का आदेश दिया था। बिहार सरकार के इस आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।कोर्ट ने सितंबर में अगली सुनवाई करने का आदेश दिया है।
बिहार सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर ये फैसला लिया था। ये सर्वेक्षण लाने वाला बिहार देश का पहला राज्य था। सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में SC/ST और OBC की आबादी में बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी। इसी के आधार पर बिहार सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया था। मगर 20 जून को पटना हाईकोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया। पटना हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि इंद्रा साहनी केस में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निर्धारित की गई थी। जातिगत सर्वेक्षण के आधार पर पिछड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है। इसे बढ़ाना राज्य के विवेक का हनन होगा।
देश में 49.5 प्रतिशत लोगों को आरक्षण देने का प्रावधान है। इसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत, एससी को 15 प्रतिशत और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण प्राप्त है। EWS आरक्षण मिलने के बाद इसकी सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है। हालांकि 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को सही ठहराते हुए आरक्षण को वैध करार दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने भी बिहार सरकार की याचिका स्वीकार कर ली थी।आज सुनवाई के दौरान अदालत ने पटना हाईकोर्ट के मामले पर रोक लगाने से मना कर दिया है। इस फैसले से नीतीश सरकार को करारा झटका लग सकता है। बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत तक कर दी थी। नए अधिनियम के तहत सरकार ने SC/ST, OBC और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था।