जर्मन हैंगर टेक्नोलॉजी से बनने वाले रैन बसेरा पर उठने लगा सवाल

शहर में ऐसा कोई रैन बसेरा नहीं है, जिसमें गरीब-गुरबा या वैसे यात्रि जो रात में अपने गांव नहीं पहुंच उसमें विश्राम कर सकें।

जर्मन हैंगर टेक्नोलॉजी से बनने वाले रैन बसेरा पर उठने लगा सवाल

केटी न्यूज/डुमरांव

शहर में ऐसा कोई रैन बसेरा नहीं है, जिसमें गरीब-गुरबा या वैसे यात्रि जो रात में अपने गांव नहीं पहुंच उसमें विश्राम कर सकें। ऐसे बहुत से यात्री या ऐसे लोग मिलेंगे जो बाजार करने या कार्यालय के कार्य से डुमरांव शहर में आए, लेकिन विलंब हो जाने से उन्हें गांव जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला। वैसे लोग रेलवे प्लेटफार्म पर या बाजार के फुटपाथों पर अपना रात गुजारने में मजबूर हो जाते हैं। ऐसे लोगों के साथ हादसा होने का डर बना रहता है। ऐसे लोग कईबार हादसे शिकार भी हो चुके हैं। नगर परिषद ने वैसे लोगों को इन परेशानियों से बचाने के लिए शहर में दो रैन बसेरा बनाने जा रही है। एक रैन बसेरा प्रखंड कार्यालय परिसर में तो दूसरा अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में बनाने का काम रविवार से शुरू कर दिया गया है। दोनों रैन बसेरा जर्मन हैंगर टैक्नालॉजी से बनाए जाएंगे। हालांकि इसके बनाने वाले संवेदक के द्वारा काफी अनियमितता पूर्ण कार्य कराया जा रहा है। लोगों का कहना है कि प्रखंड कार्यालय परिसर में जो रैन बसेरा बनाया जा रहा है, उसके लिए मिट्टी गिराया गया है। लगभग चार फीट गिराए गए मिट्टी में ही रैन बसेरा बनाने के लिए पाइलिंग का काम संवेदक द्वारा किया जा रहा है। जानकारी लोगों का कहना है कि जब भरी हुई मिट्टी में पाइलिंग किया जा रहा है, टीक ही नहीं पाएगा। पाइलिंग का कार्य तो पहले ही कर देना चाहिए था, फिर उसको मिट्टी से भरा जाना चाहिए। इस संबंध में जब चेयरमैन सुनीता गुप्ता, उप चेयरमैन विकास ठाकुर एवं ईओ मनीष कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया की संवेदक को पहले पाइलिंग करके मिट्टी की भराई करना चाहिये। इसकी जांच कराने के बाद आगे कार्य होगा।