नदांव पहुंचा पंचकोशी परिक्रमा का जत्था, श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान कर नारदेश्वर नाथ का किया पूजन
- परम पूज्य श्रीजीयर स्वामी जी महाराज के शामिल होने से श्रद्धालुओं में था जबर्दस्त उत्साह
- परंपरागत तरीके से नारद सरोवर का परिक्रमा कर श्रद्धालुओं ने किया प्रसाद ग्रहण
केटी न्यूज/बक्सर
चर्चित पंचकोशी परिक्रमा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का जत्था सोमवार को नारद मुनी के आश्रम नदांव पहुंचा। जहां जत्थे में शामिल श्रद्धालुओं नारद मुनि द्वारा स्थापित सरोवर में स्नान व नारदेश्वर नाथ मंदिर में पूजन अर्चन कर नारद सरोवर का परिक्रमा किया गया। दूसरे दिन के आकर्षण का केन्द्र परम पूज्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज का पंचकोशी यात्रा में शामिल होना रहा। वे नदांव पहुंच नागेश्वरनाथ शिव मंदिर की पूजा अर्चना किए। इस दौरान उनके दर्शन के लिए पंचकोशी यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था व ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा था। सभी पूज्य स्वामी जी की एक झलक पाने को बेताब दिखे। इसके पहले प्रथम पड़ाव अहिरौली से अहले सुबह पंचकोशी यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था करतल ध्वनियों व जयकारें के साथ नारद मुनी के तपोस्थली नदांव के लिए प्रस्थान किया था। पूजा अर्चना के बाद परंपरागत तरीके से खिचड़ी के प्रसाद के साथ ही कढ़ी, बरी, पकौड़ी आदि व्यंजन श्रद्धालुओं को खिलाया गया। श्रद्धालुओं को नारद मुनी से जुड़ी कथाओं को बड़े ही मार्मिक ढंग से बताया गया। इस पड़ाव के महत्व को बताते हुए डॉ. रामनाथ ओझा ने बताया कि नारद सरोवर में स्नान से मन की चंचलता से दूर होती है तथा शांति मिलती है। मान्यता है कि नारद मुनी को इसी तालाब में स्नान के बाद चंचलता से मुक्ति मिली थी।
मेले में श्रद्धालुओं ने उठाया लुफ्त
पंचकोशी परिक्रमा के दौरान नदांव में परंपरागत तौर पर मेल का आयोजन किया गया था। जिसमें कई तरह की दुकानें सजी थी। जत्थें में शामिल लोगों के साथ ही स्थानीय ग्रामीण भी इस मेले में जमकर लुफ्त उठाते नजर आए। मेले में जहा महिलाओं के बीच सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानों पर सामान खरीदने की होड़ थी वही बच्चों द्वारा मेले में झूला, चरखी, समेत विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के सामानों का उपयोग किया जा रहा था। बच्चें चरखी पर चढ़ने को बेताब दिख रहे थे। मेले में सर्वाधिक भीड़ बच्चों व महिलाओं की ही थी। बताया जाता है कि इस मेले में बक्सर के कोने कोने के साथ ही पड़ोसी जिलों के दुकानदार भी अपनी दुकानें सजाए थे। दूर दराज के दुकानदार एक दिन पहले ही नदांव पहुंच गए थे। मेला का आयोजन होने से ग्रामीणों की खुशी बढ़ गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्येक साल पंचकोसी यात्रा के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है। जो ग्रामीण महिलाओं व बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहता है। इस बार भी यह उत्साह देखने को मिला।
नारद मुनी को मिली थी श्राप से मुक्ति
मान्यता है कि विश्व मोहिनी के जयमाल में शामिल होने के लिए तपस्वी नारद मुनी भी अपनी तपस्या को भूल शामिल होने की इच्छा से नारायण की तपस्या किए थे। लेकिन इस तपस्या के बाद नारायण ने उनकी तपस्या की रक्षा के लिए ऐसा वरदान दिया जो उनके लिए अभिषाप बन गया था। कहा जाता है कि वरदान के बाद उनका चेहरा बंदर का हो गया था। इससे उनका मन काफी उद्विग्न हो गया था। तब वे नदांव में आकर इसी सरोवर के पास घनघोर तपस्या किए थे। जिसके बाद उन्हें बंदर जैसे चेहरे से मुक्ति मिली थी। त्रेता युग में ताड़का वध के बाद भगवान श्रीराम भी यहा आए थे। जिसके बाद से पंचकोशी परिक्रमा में नदांव भी शामिल हो गया था। आज भी यह परंपरा मनाई जाती है। मान्यता है कि यहा नारद सरोवर में स्नान करने तथा नागेश्वरनाथ की पूजा अर्चना से मन को शांति मिलती है।
मेडिकल कैंप में मुफ्त मिल रही थी दवा
इस दौरान सदर प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा मंदिर के बाहर एक मेडिकल कैंप का आयोजन भी किया गया था। जिसमें श्रद्धालुओं व ग्रामीणों का मुफ्त चिकित्सकीय परीक्षण के अलावे उन्हें दवा का वितरण किया जा रहा था। बड़ी संख्या में लोगों ने इस मेडिकल कैंप में अपना जांच करा का दवाएं भी ली।
आज भभुअर पहुंचेगा जत्था
पंचकोशी यात्रा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं का जत्था भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर पहुंचेगा। जहा परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना के बाद प्रसाद स्वरूप दही चूड़ा का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। आयोजकों द्वारा भभुअर पड़ाव की तैयारी पूरी कर ली गई है।