बेनतीजा रही संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल में आयोजित अभिभावक शिक्षक गोष्ठी
संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल के 350 बच्चियों का भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है। इस मामले में बुधवार को आयोजित शिक्षक अभिभावक गोष्ठी बेनतीजा समाप्त हुई है। बैठक में अभिभावक जहां विद्यालय प्रबंधन पर मनमानी करने तथा जानबूझकर बच्चिों के भविष्य को चौपट करने का आरोप लगा रहे थे तो दूसरी तरफ विद्यालय प्रबंधन उनकी एक सुनने को तैयार नहीं था।

- अधर में लटका है 350 बच्चियों का भविष्य, अभिभावकों में गहराते जा रहा है आक्रोश,
- आज इस मामले में विद्यालय प्रबंधन के साथ होगी एसडीएम, विधायक, डीईओ व अभिभावक प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण बैठक
केटी न्यूज/बक्सर
संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल के 350 बच्चियों का भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है। इस मामले में बुधवार को आयोजित शिक्षक अभिभावक गोष्ठी बेनतीजा समाप्त हुई है। बैठक में अभिभावक जहां विद्यालय प्रबंधन पर मनमानी करने तथा जानबूझकर बच्चिों के भविष्य को चौपट करने का आरोप लगा रहे थे तो दूसरी तरफ विद्यालय प्रबंधन उनकी एक सुनने को तैयार नहीं था।
हालांकि, इस मामले में गुरूवार को डुमरांव अनुमंडल कार्यालय में स्थानीय विधायक डॉ. अजित कुमार सिंह, एसडीएम राकेश कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी अमरेन्द्र कुमार पांडेय तथा अभिभावक प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में जारी गतिरोध के दूर होने की उम्मीद जताया जा रहा है। हालांकि, अभी भी अभिभावकों में अपनी बच्चियों के भविष्य को ले संशय की स्थिति बनी हुई है।
बैठक के दौरान एक दूसरे पर होते रहा आरोप प्रत्यारोप
अभिभावक शिक्षक गोष्ठी के दौरान जमकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए गए। मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में विद्यालय प्रबंधन का कहना था कि विधानसभा में स्थानीय विधायक डॉ अजित कुमार सिंह ने मुद्दा उठाया था, जिसके बाद शिक्षा विभाग से विद्यालय को निलंबनमुक्त करने की कारवाई प्रक्रियाधीन है।
विभाग द्वारा अभी तक विद्यालय को निलंबनमुक्त नहीं किया गया है। जिस कारण हमलोग हिन्दी मीडियम में बच्चियों को पढ़ाने में असमर्थ हो रहे है। यदि निलंबन वापस नहीं हुआ तो बच्चियों का रजिस्टेªशन नहीं हो पाएगा। इधर अभिभावकों का कहना था कि विधानसभा में शिक्षा विभाग ने निलंबनमुक्त करने का आश्वासन दिया है,
ऐसे में इसी को आधार मानकर विद्यालय का संचालन शुरू किया जा सकता है। लिखित जवाब है ही, आगे कुछ गड़बड़ हुई तो हम सभी अभिभावक विभाग के विरुद्ध कोर्ट जाएंगे। अभिभावक अपने रिश्क पर बच्चियों की पढ़ाई शुरू करने की गुहार प्रबंधन से लगा रहे थे। जिसे प्रबंधन बार-बार अनसुना करते रहा।
अभिभावकों ने दिखाई एक वर्ष के एक्सटेंशन की चिट्ठी, नहीं माना प्रबंधन
बातचीत के दौरान किसी तरह का नतीजा निकलता नहीं देख अभिभावकों ने शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए एक पत्र को प्रबंधन के सामने रखा। अभिभावकों ने कहा कि विद्यालय की मान्यता शिक्षा विभाग ने जरूर रद्द की थी, लेकिन 15 अप्रैल को पुनः शिक्षा विभाग ने उन सभी विद्यालयों को एक वर्ष के लिए एक्सटेंशन दे दिया है, जिनकी मान्यताएं रद्द हुई थी।
शिक्षा विभाग के जारी पत्र संख्या 03/2025/216 तारीख 15/4/25 के आदेश यह कहा गया है कि 626 विद्यालय जिनकी मान्यता रद्द हुई थी उन्हें अपनी कमियों को पूरा करने के लिए 31 जून 2026 तक का समय दिया गया है। इसी चिट्ठी का हवाला अभिभावक दे रहें थे, लेकिन विद्यालय प्रबंधन का कहना था कि उन्हें डीईओ की तरफ से कोई चिट्ठी नहीं मिली है। वे इस चिट्ठी को मानने को तैयार नहीं हुए। जिससे अभिभावकों की नाराजगी बढ़ गई।
विभाग के मानक पर खरा नहीं उतरने पर सस्पेंड हुई थी मान्यता
बता दें कि शिक्षा विभाग की पड़ताल में पुराना भोजपुर का संतजोसफ गर्ल्स हाई स्कूल मानकों पर खरा नहीं उतरा था। जिसके बाद डीईओ की अनुशंसा पर इस विद्यालय की मान्यता बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा सस्पेंड कर दी गई थी।
बता दें कि विभागीय अधिकारियों के निरीक्षण में इस विद्यालय में कई कमियां बताई गई। इसमें मानक के अनुरूप शिक्षकों का उपलब्ध न होना, प्रयोगशाला कक्ष न होना, पुस्तकालय कक्ष न होना, नगर परिषद से स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रमाण पत्र, विद्युतीकरण, अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र और चिकित्सा व स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध न होने का हवाला दिया गया, जिसके बाद विद्यालय की मान्यता सस्पेंड हुई थी।
इस आदेश के बाद 350 छात्राएं घर बैठ गई है। एक दर्जन से अधिक शिक्षकों की नौकरी भी का चुकी है। बच्चियां घर बैठकर विद्यालय खुलने का इंतजार कर रही हैं। इधर विद्यालय प्रबंधन शिक्षा विभाग के आदेश का इंतजार कर रहा है, और शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र के हवाले से संशय की स्थिति बनी हुई है।
गौरतलब हो कि पुराना भोजपुर का संत जोसफ गर्ल्स हाई स्कूल काफी पुराना विद्यालय है तथा इसका परिसर व भवन भी विशाल है। यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी काफी अधिक है। ऐसे में विद्यालय द्वारा मानक पूरा नहीं किए जाने से कई सवाल उठ रहे है। सवाल तो यह भी उठ रहा है कि क्या अभी तक यह विद्यालय शिक्षा विभाग के मानकों के अनुसार संचालित नहीं हो रहा था और यहां पढ़ने वाले छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही थी।