जिले में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने में सभी सीएचओ की भूमिका अहम: डॉ. कुमार बिज्येंद्र
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से जिले के सभी सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी (सीएचओ) के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें सभी सीएचओ को टीबी के लक्षणों की पहचान, स्पूटम कलेक्शन, जांच, इलाज और बचाव की जानकारी दी गई।
- पुराना सदर अस्पताल स्थित जीएनएम कॉलेज के सभागार में एक दिवसीय उन्मुखीकरण का हुआ आयोजन
- सभी सीएचओ को दी गई टीबी के लक्षणों की पहचान, इलाज व निगरानी की जानकारी
बक्सर | राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से जिले के सभी सामुदायिक चिकित्सा अधिकारी (सीएचओ) के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें सभी सीएचओ को टीबी के लक्षणों की पहचान, स्पूटम कलेक्शन, जांच, इलाज और बचाव की जानकारी दी गई। इस क्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एनटीईपी कंसल्टेंट डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने विभिन्न मुद्दों और नई सेवाओं की जानकारी दी। डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने बताया कि सरकार ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। जिसमें सभी सीएचओ की भूमिका अहम है। सीएचओ मरीज व विभाग के बीच की कड़ी के रूप में काम करेंगे। इसके लिए सीएचओ को एसटीएलएस और एसटीएस के साथ समन्वय स्थापित कर टीबी उन्मूलन की दिशा में काम करना होगा। ताकि, टीबी मरीजों का इलाज सुगमता से किया जा सके। उन्मुखीकरण कार्यक्रम में जिला टीबी सेंटर के मनीष श्रीवास्तव, उत्तम कुमार, कुमार गौरव, राहुल कुमार, विजय यादव समेत सभी एसटीएलएस, एसटीएस समेत सीएचओ शामिल रहे।
मरीजों की पहचान कर जांच और इलाज कराने के लिए करें प्रेरित व काउंसिलिंग :
उन्मुखीकरण के दौरान सीएचओ को टीबी के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार हेतु दवा की जानकारी दी गई। साथ ही अपने-अपने क्षेत्र के मरीजों को जांच एवं इलाज कराने के लिए प्रेरित करने पर भी बल दिया गया। ताकि मरीजों को समय पर बीमारी का पता लग सके और शुरुआती दौर में ही इलाज भी शुरू हो सके। इससे ना केवल आसानी के साथ मरीज स्वस्थ होंगे, बल्कि अन्य लोग भी संक्रमण के दायरे में नहीं आएंगे। डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने बताया, जिले के सभी पीएचसी, सीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी की जांच के लिए सरकार द्वारा मुफ्त जांच की सुविधा बहाल की गई। जहां कोई भी टीबी के लक्षण वाले व्यक्ति निःशुल्क जांच करा सकते हैं। जांच के साथ निःशुल्क दवाई भी दी जाती, जो जांच सेंटर पर ही उपलब्ध है। इतना ही नहीं, इसके अलावा मरीजों को उचित खान-पान के लिए आर्थिक सहायता राशि भी दी जाती है जिसे निक्षय पोषण योजना कहा जाता है। उन्होंने बताया कि टीबी उन्मूलन को सफल बनाने के लिए टीबी रोगी खोज अभियान के तहत भी मरीजों को चिह्नित कर उन्हें सरकारी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ताकि शत-प्रतिशत मरीजों को सरकार की सुविधा का लाभ मिल सके।
अधिक से अधिक नोटिफिकेशन और स्क्रीनिंग जरूरी :
डॉ. कुमार बिज्येंद्र सौरभ ने बताया कि टीबी का समुचित उन्मूलन तभी हो सकेगा, जब उसकी जांच का दायरा बढ़ाया जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब एचडब्ल्यूसी स्तर से ही टीबी के लक्षण वाले मरीजों की पहचान के साथ उनके इलाज की निगरानी कराने की तैयारी की है। इसके लिए सभी सीएचओ अपने एचडब्ल्यू अंर्तगत सभी आशा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर टीबी के लक्षण वाले मरीजों का स्पूटम व जांच सैंपल कलेक्ट कराएं। जिसे टीबी सेंटर लाने की जिम्मेदारी कैरियर मैन की होगी। इस दौरान अभी सीएचओ को यह ध्यान में रखना है कि जांच के लिए सभी लक्षण वाले मरीजों के दो सैंपल लेना है। जिस ट्यूब में सैंपल लिया जायेगा, उसपर मरीज का नाम, एड्रेस और फोन नंबर अनिवार्य रूप से अंकित किया जाए। उन्होंने कहा कि बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए ना केवल खुद जागरूक होने की जरूरत है बल्कि, पूरे समुदाय को भी जागरूक करने की जरूरत है। इसलिए, ना सिर्फ खुद बल्कि आपको अन्य कोई भी टीबी के लक्षण वाले लोग दिखें तो उन्हें तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में जांच और इलाज कराने के लिए प्रेरित करें। साथ ही आवश्यकतानुसार अपने स्तर से जांच व इलाज कराने में सहयोग भी करें। आपकी यही पहल टीबी मुक्त भारत निर्माण और राष्ट्रहित में सबसे बेहतर और सराहनीय कदम होगा।
एनटीईपी का लक्ष्य 2025 तक प्राप्त करना :
- मृत्यु दर में कमी लाना है (32/लाख से 3/लाख लाना है)
- नए मरीजों की संख्या में कमी लाना
- मरीजों की टीबी के इलाज में खर्च को शून्य करना।
इन मरीजों में टीबी के संक्रमण की संभावना प्रबल :
- एचआईवी पॉजिटिव मरीज
- कोविड के मरीज
- डायबिटीज के मरीजों
- तम्बाकू, धूम्रपान व शराब का सेवन करने वाले
- 60 साल से अधिक उम्र के लोग
- गर्भवती महिलाएं
- स्तनपान कराने वाली महिलाएं