अनियंत्रित रफ्तार बना जानलेवा, तीन माह के दौरान हादसे में सात की मौत
- हाइवे से लेकर शहर की सड़कों तक निर्धारित है गति सीमा, रफ्तार नियंत्रण की नहीं होती जांच
केटी न्यूज/डुमरांव
अनुमंडल की सड़को पर तेज रफ्तार की कहर से आये दिन दर्दनाक दुर्घटनाएं हो रही है। सड़क पर ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कर कोई वाहन का परिचालन करता है तो रफ्तार मौत बनकर उसे अपने आगोश में ले लेती है। पिछले तीन माह के आंकड़ों पर गौर करे तो डुमरांव अनुमंडल के विभिन्न सड़को पर सड़क दुर्घटनाओं में सात से अधिक लोग मौत के गाल में समा चुके है और दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए है। इन मौतों में अधिकांश युवा वर्ग के है, जो स्पीड के रोमांच के कारण अपनी जान गंवा चुके है।
बावजूद वाहन चालक ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है। हाइवे-एनएच से लेकर मुख्य सड़क तक गति सीमा निर्धारित है लेकिन कहीं भी रफ्तार नियंत्रण की जांच नही होती। वाहन चालक अपने मन-माफिक रफ्तार में वाहन का परिचालन करते हैै। परिवहन विभाग व पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक अधिकांश सड़क हादसे अधिक रफ्तार से ही होती है। दुर्घटना की मुख्य वजह ही अनियंत्रित रफ्तार मानी जाती है। वैसे तो वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए परिवहन एक्ट में कई नियम-कानून है लेकिन इसका अनुपालन धरातल पर नहीं होता है। परिवहन विभाग के सूत्रों की माने तो ओवर स्पीड को लेकर चालकों का चालान काटा जाता है लेकिन अभी तक विभाग ओवर स्पीड के लिए किसी से जुर्माना नहीं वसूला है। सड़क हादसे के बाद आक्रोशित ग्रामीण सड़क को जाम कर आवागमन ठप कर देते है। ऐसी स्थिति में दूर-दराज जाने वाले यात्रियों को खासे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पुलिस के लिए भी लॉ एंड आर्डर की समस्या खड़ी हो जाती है।
झारखंड और यूपी से जुड़ता है यह सड़क
डुमरांव अनुमंडल की तीन मुख्य सड़के झारखंड और यूपी से जुड़ती है। इन सड़कों पर वाहनों का दबाव अधिक रहता है। पुराना भोजपुर-डुमरांव एनएच 120 सड़क रोहतास से जुड़ती है तो एनएच 922 सड़क बक्सर व आरा को जोड़ती है। इसी तरह एनएच 120 अनुमंडल के मलियाबाग-मोहनियां को जोड़ते हुए उत्तर प्रदेश पहुंचती है। एनएच 120 मुख्य सड़क डुमरांव के सघन आबादी के बीच गुजरती है, जिससे आये दिन हादसों का भय बना रहता है।
यातायात नियमों की नही है जानकारी
वाहन चलाते समय यातायात नियमों का अनदेखी करना मौत का कारण बनता है। सड़को पर ओवरटेक करना, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, बगैर हेलमेट के बाइक चलाना, दोपहिया वाहनों पर दो से अधिक बैठाना और यातायात संकेतों की अनदेखी करना दुर्घटना में इजाफा करता है। जानकार बताते है कि शहर और ग्रामीण इलाके के सड़को पर नाबालिग भी तेज रफ्तार में बाइक को चलाते है, जिनके पास लाइसेंस तक नही होता। ऐसे जगहों पर परिवहन विभाग भी नही पहुंच पाता। जब कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन हाथ-पांव मारने लगता है।
हादसों का जोन बना यह सड़क
एनएच 922 - प्रतापसागर, पुराना भोजपुर, नया भोजपुर, कृष्णाब्रह्म पुल
एनएच 120 - त्रिमोहानी, टेढ़की पुल, नोनियाडेरा, कोरानसराय