उत्पन्ना एकादशी व्रत 2024 जाने महत्व, तिथि और पूजा विधि,भगवान विष्णु की कृपा से पापों का होता है नाश
उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इसे एकादशी व्रतों की उत्पत्ति का दिन माना जाता है
केटी न्यूज़/दिल्ली
उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इसे एकादशी व्रतों की उत्पत्ति का दिन माना जाता है, इसीलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।भगवान विष्णु के समक्ष दीपक जलाएं और पीले फूल, तुलसी दल, फल और पंचामृत चढ़ाएं।उत्पन्ना एकादशी की कथा का पाठ करें या सुनें। यह कथा माता एकादशी और भगवान विष्णु से संबंधित है।भगवान विष्णु की आरती करें और पूरे दिन उनके भजन-कीर्तन में समय बिताएं।व्रत का पारण द्वादशी तिथि को उचित समय पर करें। इस दौरान केवल सात्विक आहार का सेवन करें।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार मुर नामक राक्षस ने देवताओं को परेशान करना शुरू किया। उसे हराने के लिए भगवान विष्णु ने योगनिद्रा में जाते समय अपनी शक्ति से एकादशी देवी को उत्पन्न किया। देवी एकादशी ने मुर राक्षस का वध किया और तभी से भगवान विष्णु ने इस तिथि को पुण्यदायी घोषित कर दिया।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत आध्यात्मिक उन्नति और पवित्रता का प्रतीक है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।इस व्रत से पापों का नाश हो जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।