आजादी पूर्व स्थापित अदफा मध्य विद्यालय के दूसरे विद्यालय में विलय पर मुखर हुए ग्रामीण, जताया विरोध
शिक्षा विभाग के एक फैसले से कंनझरूआ पंचायत के अदफा गांव के ग्रामीणों को आक्रोशित कर दिया है। दरअसल शिक्षा विभाग ने मध्य विद्यालय अदफा के जर्जर भवन को हवाला देते हुए इस विद्यालय को मध्य विद्यालय कमधरपुर में विलय करने का निर्णय लिया है। सोमवार को शिक्षा विभाग के इस फैसले के विरूद्ध पंचायत के मुखिया असगर अली के नेतृत्व में दर्जनों ग्रामीणों ने जमकर आक्रोश जताया और कहा कि आजादी के पूर्व के इस ऐतिहासिक विद्यालय को वे किसी भी सूरत में दूसरे विद्यालय में मर्ज नहीं होने देंगे।

-- पंचायत के मुखिया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने काटा बवाल, बोले मध्य विद्यालय कमधरपुर की दूरी है दो किलोमीटर, साल में छह माह जलजमाव से घिरा रहता है गांव, बच्चें कैसे जाएंगे स्कूल
केटी न्यूज/डुमरांव
शिक्षा विभाग के एक फैसले से कंनझरूआ पंचायत के अदफा गांव के ग्रामीणों को आक्रोशित कर दिया है। दरअसल शिक्षा विभाग ने मध्य विद्यालय अदफा के जर्जर भवन को हवाला देते हुए इस विद्यालय को मध्य विद्यालय कमधरपुर में विलय करने का निर्णय लिया है। सोमवार को शिक्षा विभाग के इस फैसले के विरूद्ध पंचायत के मुखिया असगर अली के नेतृत्व में दर्जनों ग्रामीणों ने जमकर आक्रोश जताया और कहा कि आजादी के पूर्व के इस ऐतिहासिक विद्यालय को वे किसी भी सूरत में दूसरे विद्यालय में मर्ज नहीं होने देंगे।
हंगामा करने वाले ग्रामीणों का कहना है कि इस विद्यालय की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल के दौरान वर्ष 1939 ई. में की गई थी, जबकि वर्ष 2008 में दो मंजिला भवन का निर्माण कराया गया है। फिलहाल दो मंजिला भवन का उपरी तल्ला दब गया है, लेकिन नीचे के कमरे सुरक्षित है, जिनमें कक्षाओं का संचालन आसानी से हो रहा है। बावजूद शिक्षा विभाग ने गांव से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित मध्य विद्यालय कमधरपुर में इस विद्यालय को मर्ज करने का निर्णय लिया है। विभाग के इस फैसले से यहां नामांकि बच्चों का भविष्य चौपट हो जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि विद्यालय लगभग 200 बच्चें नामांकित है तथा उन्हें पढ़ाने के लिए 13 शिक्षक कार्यरत है। नामांकित बच्चों में 70 से 75 प्रतिशत अनुसूचित जाति तबके बच्चों की आबादी है।
पंचायत के मुखिया असगर अली ने बताया कि जिस मध्य विद्यालय कमधरपुर में इस विद्यालय को मर्ज करने का निर्णय विभाग ने लिया है, उसकी दूरी यहां से दो किलोमीटर है तथा वह गांव साल के छह महीने पानी से घिरा रहता है। वहीं, ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग अनुसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने के लिए ही ऐसा कदम उठाया है। यह भी दिलचस्प है कि उसी अदफा मध्य विद्यालय के जमीन पर 520 बेड वाले अतिपिछड़ा वर्ग के छात्राे के लिए आवासीय विद्यालय का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में सिर्फ जर्जर भवन के कारण उक्त विद्यालय के दूसरे विद्यालय में मर्ज किया जाना व्यवहार कुशल फैसला नहीं है।
मुखिया ने बताया कि मध्य विद्यालय कमधरपुर के प्रभारी प्रधानाध्यापक पहले ही विभाग को यह लिखित दे चुके है कि उनके विद्यालय में कमरों की कमी है तथा दूसरे विद्यालय को यहां मर्ज करना संभव नहीं है। बावजूद शिक्षा विभाग अपने फैसले पर अड़ा है। ग्रामीणों ने बताया कि स्थापना काल से ही यह विद्यालय शिक्षा क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि एक जमाने में इस विद्यालय में आस पास के गांवों के साथ ही सीमावर्ती नावानगर व इटाढ़ी प्रखंड के कई गांवों के छात्र भी पढ़ने आते थे। ग्रामीणों ने कहा कि यदि विभाग अपने फैसले को नहीं बदलता है तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे, जिसकी सारी जिम्मेवारी प्रशासन की होगी।
बयान
अदफा मध्य विद्यालय के जर्जर भवन को तोड़कर बनवाने के लिए पिछले साल ही निर्णय लिया गया है। उस समय मैं प्रभार में नहीं था। संभवतः उसी के मद्देनजर कुछ समय के लिए विद्यालय को मर्ज किया जाएगा। नया भवन बनने के बाद विद्यालय फिर से अदफा में संचालित होगा। वैसे इस संबंध में नया कुछ आदेश नहीं आया है, जिस कारण विशेष जानकारी नहीं है। - सुधांशु कुमार, बीईओ, डुमरांव