चौसा थर्मल पॉवर प्लांट के गेट पर स्ट्राइक कर रहे मजदूरों व स्थानीय दुकानदारों में झड़प

चौसा थर्मल पॉवर प्लांट के गेट पर स्ट्राइक कर रहे मजदूरों व स्थानीय दुकानदारों में झड़प

- निर्धारित समय से अधिक समय तक मजदूरी कराने व बोर्ड रेट से मजदूरी भुगतान की मांग पर हड़ताल कर रहे थे मजदूर

- यूनियन व कंपनी प्रबंधन की वार्ता के बाद वापस लौटे मजदूर

केटी न्यूज/चौसा

चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावॉट के थर्मल पॉवर प्लांट के निर्माण में लगे मजदूरों ने मंगलवार को स्ट्राइक कर दिया। इस दौरान पॉवर प्लांट के गेट पर बैठे मजदूरों व स्थानीय दुकानदारों के बीच झड़प भी हो गया। जिसमें मजदूरों द्वारा पथराव भी किया गया। इस पथराव में एक दुकान में लगे एसबेस्टस के सीट में छेद हो गया है। मौके पर मौजूद पुलिस के जवानों ने इसके बाद मजदूरों को वहां से खदेड़ कंपनी के अंदर पहुंचाया। जहां बाद में पुलिस की मौजूदगी में यूनियन के नेताओं व कंपनी प्रबंधन के बीच वार्ता हुई। जिसके बाद मजदूरों ने अपना हड़ताल वापस लिया। इस दौरान घंटांे अफरा तफरी का माहौल बना रहा। इस मामले में कंपनी के एक ठेकेदार की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। जानकारों का कहना है कि उक्त ठेकेदार के उकसावे पर ही मजदूरों ने हड़ताल किया था। 

अब पूरा मामला समझिए

चौसा थर्मल पॉवर प्लांट के निर्माण में लगी एल एंड टी कंपनी ने तीन-चार दिन पहले ही एक समझौते के तहत मजदूरों से मात्र 8 घंटा काम कराने तथा बोर्ड रेट से उनके मजदूरी के भुगतान करने की बात न सिर्फ स्वीकार की थी बल्कि बोर्ड पर इसका नोटिस भी चस्पाया था। बावजूद एल एंड टी के अंतर्गत काम कर रही कुछ कंपनियों ने मजदूरों से 8 घंटे के बजाय 12 घंटे काम करा रही थी। वही उन्हें बोर्ड रेट से मजदूरी का भुगतान भी नहीं कर रही थी। जबकि कुछ मजदूरों की मजदूरी भी बकाया थी। इसी मुद्दें पर मंलवार को मजूदरों ने स्ट्राइक कर कंपनी गेट पर धरना पर बैठ गए थे। मजदूरों का आरोप था कि कंपनी प्रशासन ने एक मजदूर नेता को भी कंपनी के अंदर नहीं जाने दिया। जिससे मजदूर उग्र हो गए। हालांकि मौके पर मौजूद पुलिस ने मजदूरों को खदेड़ दिया। जिसके बाद मजदूर आस पास के दुकानों में जाकर बैठ गए। लेकिन दुकानदार उन्हें वहां से हटाने लगे। जिसके बाद मजदूर भड़क गए तथा दुकानदारों पर पथराव कर दिए। जानकारों का कहना है कि स्थानीय दुकानदारों व मजदूरों के बीच झड़प भी हुई थी। लेकिन पुलिस ने जल्दी ही स्थिति को नियंत्रित कर लिया। जिससे कोई बड़ी घटना नहीं हो सकी। 

समझौते के बाद माने मजदूर

बाद में कंपनी के अधिकारियों व यूनियन के नेताओं के बीच एक वार्ता हुई। जिसमें कंपनी ने मजदूरों की मांगों को मानते हुए तत्काल अपने अधीनस्थ की सभी कंपनियों को मजदूरों से 8 घंटे से अधिक मजदूरी नहीं कराने तथा बोर्ड रेट से उनके मजदूरी का भुगतान करने का निर्देश दिया। जिसके बाद मजदूर वापस काम पर लौट आए है। वही इस घटना ने पिछली बार की घटना की यादें ताजा कर दी थी। जब हड़ताली किसानों ने आगजनी कर कंपनी को करोड़ो का नुकसान पहुंचाया था। 

ठेकेदार पर मजदूरों को भड़काने का लग रहा है आरोप

इस मामले में यूपी निवासी एक ठेकेदार पर मजदूरों को भड़काने का आरोप भी लग रहा है। बताया जाता है कि यूपी निवासी गोलू सिंह नामक व्यक्ति इस कंपनी में ठेकेदारी कर रहा है। वह कंपनी प्रशासन पर अपनी पैठ बनाने के लिए मजदूरों को भड़काया था। हालांकि कंपनी प्रशासन ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बताया। 

मजदूरों के बार बार के हड़ताल से बाधित हो रहा है काम

बता दें कि चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावॉट के थर्मल पॉवर प्लांट का निर्माण शुरू होने के साथ ही कभी मजदूरों तो कभी भूमिदाता किसानों के आंदोलन से निर्माण कार्य बाधित होते रहता है। बता दें कि इस थर्मल पॉवर प्लांट के निर्माण के बाद कुल 1320 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होना है। जिसका सबसे बड़ा फायदा बिहार को ही मिलने वाला है। बावजूद स्थानीय लोग व मजदूर अक्सर इस कंपनी का काम बाधित कराते रहते है। जिस कारण निर्माण कार्य समय से पूरा नहीं हो सका है। 

कहते है थानाध्यक्ष

मजदूरों व स्थानीय दुकानदारों के बीच झड़प हुआ था। हालांकि इस विवाद में न तो कई जख्मी हुआ है और न ही किसी तरह का नुकसान। मजदूरों को समझा बुझाकर शांत करा दिया गया है। कंपनी प्रशासन व मजदूरों के बीच की वार्ता सफल रही है। - राहुल कुमार, थानाध्यक्ष, मुफस्सिल