किसानों के क्षमता संवर्द्धन के लिए आयोजित हुई कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास एवं अटारी जोन-4 पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार के मार्गदर्शन में नवोन्मेषी तकनीक हस्तक्षेप द्वारा शनय भूख एवं शून्य तकनीकी अंतर गांव का विकास परियोजनान्तर्गत पोषण वाटिका की स्थापना एवं प्रबंधन विषय पर बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के छोटका ढकाइच गांव में ज्ञान एवं क्षमता संवर्धन के लिए कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

किसानों के क्षमता संवर्द्धन के लिए आयोजित हुई कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी

- पोषण वाटिका की स्थापना एवं प्रबंधन विषय पर आयोजित हुई थी संगोष्ठी, 25 महिलाओं को घर से आस पास पोषण वाटिका लगाने की दी गई जानकारी

केटी न्यूज/बक्सर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्वी अनुसंधान परिसर पटना के निदेशक डॉ. अनूप दास एवं अटारी जोन-4 पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार के मार्गदर्शन में नवोन्मेषी तकनीक हस्तक्षेप द्वारा शनय भूख एवं शून्य तकनीकी अंतर गांव का विकास परियोजनान्तर्गत पोषण वाटिका की स्थापना एवं प्रबंधन विषय पर बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के छोटका ढकाइच गांव में ज्ञान एवं क्षमता संवर्धन के लिए कृषक वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 

इस परियोजना के अंतर्गत गांव के 25 महिलाओं को घर के आस पास पोषण वाटिका की स्थापना एवं वैज्ञानिक विधि से प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। पोषण वाटिका के लिए महिलाओं को सब्जी बीज गाजर, मूली, मटर, मेथी, धनिया, टमाटर, गोभी आदि के बीज एवं नर्सरी पौधे प्रदान किये गए। परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. धीरज कुमार सिंह ने बताया कि पोषण वाटिका अपनाकर महिला किसान परिवार की पोषण सुरक्षा को  सुनिश्चित कर सकती है। डॉ. कुमारी शुभा वैज्ञानिक ने महिलाओं को पोषण वाटिका के माध्यम से शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए विशेषकर आयरन, जिंक, पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्सियम तथा विटामिन ए, बी, सी से भरपूर पत्तेदार सब्जियों, जड़ वाली सब्जियों, फलों जैसे आम, पपीता, आवंला, केला, नींबू एवं बेल आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी। जिससे पोषण वाटिका से सालभर गुणवत्ता युक्त भोज्य सामग्री उपलब्ध हो सकें। उन्होंने कहा कि पोषण वाटिका के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने महिलाओं को अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों को विशेष रूप से शामिल करने पर जोर देते हुए पोषण वाटिका के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. अनिर्बन मुखर्जी ने कृषको के कृषि सम्बन्धी समस्याओं के समाधान हेतु सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन तकनीक (पीआरए ) द्वारा आंकलन किया तथा इनके निदान के लिए विस्तृत जानकारी दी। कृषि विज्ञानं केंद्र बक्सर के विषय वस्तु विशेषज्ञ रामकेवल ने पोषण वाटिका से सालभर फल एवं सब्जियों की प्राप्ति के लिए फलदार वृक्षों की कटाई, छंटाई एवं कीट व्याधि प्रबंधन की पर्यावरण सम्मत जानकारी दी। इस संगोष्ठी में छोटका ढकाइच गांव के कमली देवी, उर्मिला देवी, चंदा देवी, चिंता देवी, सीता देवी, ललिता देवी, मीरा देवी, तेतरी देवी, कमलावती देवी, धनपतिया देवी, रमावती देवी, सहित दीप नारायण प्रधान, शिवजी पाण्डेय, अजित पाल, सूरज सिंह आदि उपस्थित थे।