नगर परिषद में कार्यरत एनजीओ पर सफाई कर्मियों और अन्य कर्मियों के पीएफ के लाखों रुपयों के गबन का लगा आरोप
नगर परिषद और एनजीओ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें नगर परिषद के कार्यालय में कार्यरत एनजीओ द्वारा कई सफाई कर्मी एवं अन्य कार्यरत कर्मियों के शोषण तथा पीएफ के लाखों रुपए के गबन का मामला सामने आया है। जिस पर आज यानी मंगलवार को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर गठित कमिटी के द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों और एनजीओ के संचालकों के समक्ष उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
- जिलाधिकारी के निर्देश पर आज सदर एसडीएम के नेतृत्व में होगी जांच, कर्मियों के शोषण का भी आरोप
- राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती के आवेदन पर लिया गया संज्ञान
केटी न्यूज/बक्सर
नगर परिषद और एनजीओ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें नगर परिषद के कार्यालय में कार्यरत एनजीओ द्वारा कई सफाई कर्मी एवं अन्य कार्यरत कर्मियों के शोषण तथा पीएफ के लाखों रुपए के गबन का मामला सामने आया है। जिस पर आज यानी मंगलवार को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर गठित कमिटी के द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों और एनजीओ के संचालकों के समक्ष उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यदि आरोपित दोनों एनजीओ पर दोष सिद्ध होता है, तो उन्हें सभी कर्मियों के पीएफ का भुगतान करना होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजद के प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती ने जिलाधिकारी को नगर परिषद में कार्यरत दोनों एनजीओ पर कर्मियों के पीएफ का गबन का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी।
आवेदन के माध्यम से संतोष भारती ने जिलाधिकारी को बताया था कि बक्सर जिला में कार्यरत एनजीओ लखराज राधिका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड छपरा ने कोरोनाकाल का मानदेय भुगतान आज तक नहीं किया गया है। पत्र में बताया गया कि 01.06.2022 से 31.05.2022 एवं जून माह में 01.08.2022 से 20.09.2022 तक कार्य कराकर मानदेय का भुगतान किया गया है, जिस पर विचार करना होगा। वहीं, दूसरी ओर वर्तमान में कार्यरत एनजीओ शुभम द्वारा किसी भी कर्मी को परिचय पत्र नहीं दिया गया है। साथ ही, कर्मियों को न तो समय मानदेय दिया जा रहा है और न ही ठंड के समय में जुता, मास्क व गल्फस भी नहीं दिया जा रहा है। कर्मियों के सुरक्षा के प्रति एनजीओ संवेदनहिनता दिखाई दे रही है।
प्रत्येक माह काटा जाता है पीएफ :
कर्मियों द्वारा यह भी बताया गया कि उनके नाम पर एनजीओ द्वारा प्रत्येक माह पीएफ का पैसा तो काटा जाता है, लेकिन इसका कोई साक्ष्य उनके पास नहीं है। वर्तमान एवं पूर्व के एनजीओ द्वारा नगर परिषद में कार्यरत सफाई कर्मियों को ठगा गया है। कर्मियों के पीएफ का पैसा एनजीओ अपने खाता में जमा करते है। जब भी कर्मियों द्वारा पीएफ के पैसे की मांग की जाती है, तब एनजीओ के द्वारा यह धमकी दी जाती है कि अगर कोई कर्मी कुछ भी बोलेगा तो उसको कार्य से हटा दिया जाएगा। जिसके कारण कर्मी कुछ खुलकर बोलते नहीं है।
बताया जाता है कि राज्य सरकार द्वारा सातवें वेतन लागू करने के आदेश के बाद भी नगर परिषद द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिसके कारण सभी कर्मियों को बहुत हानी हो रही है। संतोष भारती ने जिलाधिकारी से यथाशिघ्र सातवें वेतन आयोग का लाभ दिलाने का आग्रह किया। साथ ही, मामले में जांच करा कर सभी कर्मियों के साथ न्याय दिलाते हुए 10 वर्षों का पीएफ का भुगतान करवाने एवं दोषी एनजीओ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।