राजकुमार शुक्ल ने ही दिलाई थी स्वाधीनता आंदोलन में राष्ट्रपिता को प्रवेश - विनोद राय
बिहार की धरती ने ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को स्वाधीनता आंदोलन में प्रवेश दिलाया था। पश्चिम चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल ने ही राष्ट्रपिता को नीलहे गोरे नील की खेती करवाने वाले अंग्रेजों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए बुलाया था।
- गायघाट में मनाई गई चंपराण आंदोलन के नायक की जयंति
केटी न्यूज/बक्सर
बिहार की धरती ने ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को स्वाधीनता आंदोलन में प्रवेश दिलाया था। पश्चिम चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल ने ही राष्ट्रपिता को नीलहे गोरे नील की खेती करवाने वाले अंग्रेजों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए बुलाया था।
उनके बुलाने पर ही वे चंपारण पहुंचे तथा सत्याग्रह की शुरूआत कर किसानों को जबरन नील की खेती से मुक्ति दिलवाई थी। उक्त बातें जदयू के प्रदेश महासचिव सह होटल व्यवसायी विनोद राय ने शुक्रवार को कही। अवसर था महान स्वतंत्रता सेनानी स्व. राजकुमार शुक्ल के जयंति समारोह का।
श्री राय के नेतृत्व में उनके पैतृक गांव सिमरी प्रखंड के गायघाट में चंपारण आंदोलन के नायक की जयंति मनाई गई। कार्यक्रम की शुरूआत उनके तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई। इस दौरान जदयू प्रदेश महासचिव ने कहा कि तब देश गुलाम था। अंग्रेज किसानों से जबरन नील की खेती करवाते थे। नील की खेती से जमीन बंजर हो रही थी। बंगाल तथा बिहार के कई जिलों में नील की खेती करवाई जाती थी।
अंग्रेजों ने इसके लिए तीन कठिया प्रणाली लागू की थी। वर्ष 1917 में राजकुमार शुक्ल ने ही उन्हें चंपारण बुलाया था। उनके कहने पर ही पहली बार गांधीजी बिहार की धरती पर आए थे तथा सत्याग्रह की शुरूआत किए। इस आंदोलन के बाद किसानों को नील की खेती करने से मुक्ति मिली थी।
श्री राय ने कहा कि वे देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी थे। उनक प्रयास से ही बिहार में स्वाधीनता आंदोलन जोर पकड़ा था। मौके पर जदयू के सिमरी प्रखंड अध्यक्ष नंदजी राम, पैगंबरपुर पंचायत अध्यक्ष हरेराम चौधरी, सोहन तुरहा, करिया पासवान, मुमताज अंसारी उर्फ छोटू, सबीर खां, शेषनाथ राय समेत दर्जनों लोग मौजूद थे।