मंगराव पंचायत में लंपि का कहर, मवेशियों की मौत से हाहाकार, किसानों की चिंता बढ़ी

राजपुर प्रखंड के मंगराव पंचायत में लंपि स्किन डिजीज ने कहर बरपा दिया है। संगराव और मंगराव गांव में अब तक आधा दर्जन से ज्यादा गाय और बछड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि दो दर्जन से अधिक पशु गंभीर रूप से बीमार हैं। लगातार हो रही मौतों ने किसानों की नींद उड़ा दी है। सबसे बड़ा संकट यह है कि घरेलू और हर्बल दवाओं के बावजूद बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही।

मंगराव पंचायत में लंपि का कहर, मवेशियों की मौत से हाहाकार, किसानों की चिंता बढ़ी
फ़ाइल फोटो

-- बीमारी काबू से बाहर, स्थानीय उपाय बेअसर, पशुपालकों ने लगाई प्रशासन से गुहार

केटी न्यूज/राजपुर

राजपुर प्रखंड के मंगराव पंचायत में लंपि स्किन डिजीज ने कहर बरपा दिया है। संगराव और मंगराव गांव में अब तक आधा दर्जन से ज्यादा गाय और बछड़ों की मौत हो चुकी है, जबकि दो दर्जन से अधिक पशु गंभीर रूप से बीमार हैं। लगातार हो रही मौतों ने किसानों की नींद उड़ा दी है। सबसे बड़ा संकट यह है कि घरेलू और हर्बल दवाओं के बावजूद बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही।

गांव के किसान मिथिलेश सिंह ने बताया कि सोमवार की सुबह उनकी एक बछिया की जान चली गई। वहीं रशीद अंसारी, राकेश सिंह और सोहावन सिंह के पशुओं की भी मौत हो चुकी है। मंगराव गांव के किसान पराहु राजभर, चंदन सिंह और मदन सिंह के मवेशी भी पिछले एक सप्ताह से इस बीमारी से जूझ रहे हैं। किसानों का कहना है कि बीमारी की शुरुआत तेज बुखार और पैरों की सूजन से होती है, फिर शरीर पर फोड़े जैसे घाव निकल आते हैं।

धीरे-धीरे पशु खाना-पीना छोड़ देता है और अंततः दम तोड़ देता है। कई मवेशियों के पैरों में घाव बन जाने से वे चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गए हैं। बीमारी की रोकथाम के लिए किसान होमियोपैथी दवा, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और घरेलू नुस्खों का सहारा ले रहे हैं, लेकिन यह प्रयास अब तक कारगर नहीं साबित हुए हैं। पशुपालक बताते हैं कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो उनके लिए दूध उत्पादन और जीविका दोनों पर संकट गहराएगा।

-- क्या कहते हैं डॉक्टर

भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिषेक कुमार ने बताया कि लंपि एक खतरनाक त्वचा रोग है, जो खासकर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बछड़ों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। उन्होंने कहा कि बीमारी का लक्षण दिखते ही किसान तुरंत संपर्क करें ताकि आवश्यक दवा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा सके। मवेशी डॉक्टर ने यह भी सलाह दी कि संक्रमित पशुओं को स्वस्थ मवेशियों से अलग रखें और मच्छरों से बचाव के उपाय करें।

उन्होंने नीम के पत्तों से पशुओं को धोने और घरेलू उपचार के रूप में काली मिर्च, पान का पत्ता, नमक व गुड़ का पेस्ट खिलाने की भी सलाह दी। हालांकि जमीनी हकीकत यह है कि बीमारी गांव में लगातार फैल रही है और किसान खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अगर जल्द प्रभावी कदम नहीं उठाते तो आने वाले दिनों में स्थिति भयावह हो सकती है।