फर्जी खबर फैलाने पर अब होगी तीन साल की जेल, भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 भी बदला

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नया बिल पेश किया है। इस बिल के मुताबिक़ फर्जी और भ्रामक जानकारी फैलाने वालों पर अब कड़ा एक्शन लिया जाएगा। अब फर्जी खबरें फैलाने वालों को तीन साल की जेल जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा। अब भारतीय दंड संहिता 1860 बदल जाएगा और उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023 लागू होगा। विधेयक को समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है।

फर्जी खबर फैलाने पर अब होगी तीन साल की जेल, भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 भी बदला
केटी न्यूज़, नई दिल्ली। शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 पेश किया गया । इस विधेयक में धारा 195 के तहत 'फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी' फैलाने वालों को तीन साल तक की कैद की सजा देने का प्रावधान है। विधेयक को अभी समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है।अमित शाह ने कल तीन विधेयक पेश किए, और बताया कि इनका उद्देश्य भारतीय नागरिकों को न्याय देना और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों की रक्षा करना है। यह विधेयक अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भारतीय दंड संहिता, 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, (1898), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को खत्म कर देगा।
किसकी जगह कौन होगा प्रतिस्थापित
तीन विधेयक- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय सुरक्षा विधेयक, 2023- बदले गए हैं। गृह मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1898 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 और भारतीय दंड संहिता, 1860 को भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 के द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। बता दें कि विधेयक के धारा 195 (1) डी में लिखा है, कि "भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी कोई देता है या प्रकाशित करता है, उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जाएगा।" इन क़ानून के बदलावों से देश में भी एक बड़ा बदलाव और शांति होने की उम्मीद है। विधेयक को समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है।