वाणावर के शिव मंदिरों में हूआ भगदड़: प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम

सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव के भक्तों की श्रद्धा और आस्था की पराकाष्ठा देखने को मिलती है, जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए एकत्र होते हैं। बिहार के जहानाबाद जिले के वाणावर स्थित सिद्धनाथ मंदिर में ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जहां रविवार की रात को एक विशाल भीड़ एकत्रित हुई।

वाणावर के शिव मंदिरों में हूआ भगदड़: प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम

- सावन के चौथी सोमवारी पर शिव भक्तों से खचा खच भराथा मदिर परीसर

केटी न्यूज/जहानाबाद

सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव के भक्तों की श्रद्धा और आस्था की पराकाष्ठा देखने को मिलती है, जब लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए एकत्र होते हैं। बिहार के जहानाबाद जिले के वाणावर स्थित सिद्धनाथ मंदिर में ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जहां रविवार की रात को एक विशाल भीड़ एकत्रित हुई। हालांकि, यह श्रद्धा और आस्था की मूरत उस समय भयावह रूप धारण कर गई जब प्रशासनिक लापरवाही के कारण मची भगदड़ में दर्जनों निर्दोष लोगों की जान चली गई आखिल भारतीय विधार्थी परिषद ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए सीधे तौर पर जहानाबाद प्रशासन को दोषी ठहराया है।

परिषद के विभाग संयोजक गोपाल शर्मा ने कहा कि सिद्धनाथ मंदिर में सावन के महीने में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने का अनुमान प्रशासन को पहले से होना चाहिए था। लेकिन प्रशासन ने इस संभावित चुनौती को गंभीरता से नहीं लिया और ना ही उपयुक्त प्रबंध किए। प्रशासन ने इस स्थिति को संभालने के लिए पर्याप्त सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं की, बल्कि उन्होंने केवल कुछ एनसीसी कैडेट्स पर भरोसा किया, जो कि इस प्रकार की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अपर्याप्त थे। यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक लापरवाही का मामला है,

जिसने इस त्रासदी को जन्म दिया। रविवार की रात को, जब भक्तों की भीड़ अपनी चरम सीमा पर थी, अचानक फुल दुकान वाले भीड़ लड़ पड़े वहां पर एक भी प्रशासन तैनात नहीं था उसे लड़ाई के कारण अचानक भगदड़ मच गई। भीड़ को नियंत्रित करने में विफल प्रशासन और अराजकता के माहौल के बीच, लोगों ने जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना शुरू कर दिया। इस भगदड़ में कई लोग बुरी तरह घायल हो गए, और कई लोगों की जान चली गई।

यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि जब प्रशासनिक तैयारियों में कमी होती है, तो इससे कितना गंभीर नुकसान हो सकता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस दुखद घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। जिला सह संयोजक सुरजीत कुमार ने विशेष जांच टीम गठित करने की मांग की है, जो कि इस मामले की तह तक जाकर दोषियों की पहचान कर सके। इसके साथ ही, उन्होंने घायल लोगों के त्वरित इलाज के लिए एक विशेष चिकित्सकीय टीम गठित करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि प्रशासन की इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह घटना यह सवाल उठाती है कि ऐसे अवसरों पर प्रशासन की भूमिका और उत्तरदायित्व क्या होना चाहिए। वाणावर स्थित सिद्धनाथ मंदिर जैसे बड़े धार्मिक स्थलों पर, विशेषकर सावन के पवित्र महीने में, जब श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है, प्रशासन को हर तरह से तैयार रहना चाहिए।

भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा उपायों और आपातकालीन सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करना प्रशासन का कर्तव्य है। लेकिन इस मामले में, प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया और नतीजा यह हुआ कि दर्जनों लोगों की जान चली गई। विभाग संयोजक गोपाल शर्मा ने मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और सरकार से उनके लिए उचित मुआवजे की मांग की है।

इसके साथ ही, परिषद ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रशासन को इस घटना से सबक लेना चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रशासनिक ढांचे में सुधार और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना अब समय की मांग है। 

इस घटना ने पूरे जिले में शोक और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। लोगों की जान की कीमत पर प्रशासन की इस लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह समय है कि प्रशासन अपने कर्तव्यों को गंभीरता से ले और सुनिश्चित करे कि भविष्य में इस प्रकार की त्रासदियां न हों।

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक चूक किसी भी समय कितनी घातक हो सकती है, और इसलिए इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।