सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने बक्सर-डुमरांव के मंदिरों में मत्था टेक की मंगल भविष्य की कामना
- बक्सर के भूमि से जुड़ा है लगाव, प्रशासनिक अधिकारियों ने की आगवानी
केटी न्यूज/डुमरांव
भगवान राम की शिक्षा भूमि और महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर को नमन करने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल सोमवार को तीसरी बार पहुंचे और बक्सर-डुमरांव के मंदिरों में मत्था टेक मंगल भविष्य की कामना की। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी आगवानी की। अपने व्यक्तिगत यात्रा पर डुमरांव पहुंचे न्यायाधीश ने नगर देवी मां डुमरेजनी, त्रिपुर सुंदरी मां भगवती और जंगलीनाथ महादेव मंदिर के अलावे ब्रह्मपुर धाम के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ धाम में पहुंच कर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना की।
उसके बाद मंदिरों के कलाकृतियों का अवलोकन करते हुए इनके इतिहासों की जानकारी ली। न्यायाधीश प्रशासनिक विधि-व्यवस्था के साथ बक्सर पहुंचे और यहां की मिट्टी को नमन करने के बाद गंगा तट पर अवस्थित मां मंगला भवानी मंदिर और नाथ बाबा मंदिर का दर्शन कर पूजन किया। इस दौरान प्रशासनिक महकमे में अफरा-तफरी मची रही। चौक-चौराहों पर पुलिस बल के जवानों की तैनाती थी तो वहीं ट्रैफिक व्यवस्था भी पूरी तरह बदली थी। न्यायाधीश के साथ अनुमंडल पदाधिकारी कुमार पंकज, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अफाक अख्तर अंसारी, थानाध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी अनीशा राणा के साथ पुलिस बल के जवान मौजूद थे।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में आये थे डुमरांव
पूर्व में पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में संजय करोल पिछले बार वर्ष 2021 के 5 सितंबर और 25 दिसंबर को अपने परिजनों के साथ डुमरांव पहुंचे और कई मंदिरों में पहुंच कर देवी-देवताओं के स्वरूपों का दर्शन किया। उन दिनों स्थानीय वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मान दिया गया था। बताया जाता है कि कोरोना काल से उबरने के बाद न्यायाधीश का आध्यात्मिक लगाव बढ़ा और इसी दौरान डुमरांव और बक्सर के वर्णित मंदिरों के दर्शन करने का भाव जागृत हुआ।
भारतीय परिधान में नजर आये न्यायाधीश
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश करोल भारतीय संस्कृति से जुड़े स्वदेशी वस्त्रों में नजर आये। धोती-कुर्ते के साथ हाफ जैकेट और कंधे पर गमछे के साथ नजर आये। स्वदेशी खादी के लिबास में लिपटे न्यायाधीश को देख सबों ने इसकी काफी सराहना की। ऊंचे ओहदे पर पहुंचने के बाद भी न्यायाधीश के मन मे स्वदेशी वस्त्रों के प्रति प्रेम भारतीय संस्कृति का पहचान बना रहा।