बक्सर से डुमरांव तक घंटों थमा ट्रैफिक, यूपी सीमा पर ट्रक रोकने से बेकाबू हुआ जाम
बक्सर जिले में ट्रैफिक जाम गुरुवार को चरम पर पहुंच गया। बक्सर से डुमरांव तक ऐसा जाम लगा कि सुबह से दोपहर तक राष्ट्रीय राजमार्ग हो या शहरी सड़कें, हर ओर वाहनों की लंबी कतारें नजर आईं। सबसे अधिक प्रभावित वे स्कूली बच्चे, मरीज और नौकरीपेशा लोग रहे, जिन्हें घंटों तक रास्ते में फंसे रहना पड़ा। हालात इतने गंभीर हो गए कि एंबुलेंस और स्कूल वैन तक जाम में रेंगती रहीं।
-- स्कूली बच्चे, एंबुलेंस और आम यात्रियों की फजीहत, डुमरांव बाइपास का निर्माण नहीं होने से बढ़ी मुश्किल
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर जिले में ट्रैफिक जाम गुरुवार को चरम पर पहुंच गया। बक्सर से डुमरांव तक ऐसा जाम लगा कि सुबह से दोपहर तक राष्ट्रीय राजमार्ग हो या शहरी सड़कें, हर ओर वाहनों की लंबी कतारें नजर आईं। सबसे अधिक प्रभावित वे स्कूली बच्चे, मरीज और नौकरीपेशा लोग रहे, जिन्हें घंटों तक रास्ते में फंसे रहना पड़ा। हालात इतने गंभीर हो गए कि एंबुलेंस और स्कूल वैन तक जाम में रेंगती रहीं।

सूत्रों के मुताबिक, बुधवार की रात से ही यूपी प्रशासन ने वीर कुंवर सिंह सेतु के रास्ते उत्तर प्रदेश में जाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। यह कार्रवाई क्यों की गई, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इसका सीधा असर बक्सर और डुमरांव मार्ग पर साफ दिखाई दिया।
बता दें कि यूपी-बिहार सीमा से रोजाना हजारों ट्रक गुजरते हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बालू लदे ट्रकों की रहती है। ट्रकों पर अचानक लगी रोक के कारण एनएच 922 और डुमरांव-बिक्रमगंज पथ पर बुधवार देर रात से ही ट्रकों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं, जो गुरुवार सुबह होते-होते कई किलोमीटर तक फैल गईं।
-- एंबुलेंस और स्कूल वैन फंसी, यात्रियों ने जताई नाराजगी
ट्रकों की एक के पीछे एक लगी लंबी लाइन का असर स्थानीय यातायात पर भी पड़ा। सुबह के समय जब स्कूली वाहन, एंबुलेंस और ऑफिस जाने वाले लोग सड़क पर निकले तो उन्हें रेंगते हुए आगे बढ़ना पड़ा। कई महत्वपूर्ण मोड़, तिराहे और चौराहे जाम की चपेट में रहे।डुमरांव में पुराना भोजपुर अंडरपास तक ट्रकों की एक ही लाइन खड़ी रही। एनएच-922 पर भी हालात बेहद खराब रहे। जिसके कारण छोटे वाहनों की रफ्तार पूरी तरह थम गई।

लोगों का कहना है कि रोज-रोज लगने वाले जाम से बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पा रहे हैं। सुबह का 15 मिनट का सफर एक-एक घंटे में तय हो रहा है। प्रशासन सिर्फ देखने में लगा रहता है।इसी प्रकार, कार्यालय जाने वाले कई कर्मचारियों ने बताया कि वे रोजाना जाम में फंसकर देर से पहुंचते हैं और परेशानी बढ़ती जा रही है।
-- जाम का असर शहरी क्षेत्र में भी फैल गया
ट्रकों के दबाव के कारण बक्सर और डुमरांव के अंदरूनी इलाके भी जाम की चपेट में आ गए। मुख्य सड़क से लेकर लिंक रोड तक गाड़ियां तेजी से सरक नहीं पा रही थीं। कई जगहों पर दोपहिया वाहन सवारों को किनारे से निकालने के लिए ट्रैफिक पुलिस तक संघर्ष करती दिखी। डुमरांव स्टेशन जाने वाले यात्रियों के लिए स्थिति और भी विकट रही। ट्रेन पकड़ने पहुंचे कई लोग जाम में फंसने के कारण समय पर प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंच सके।
-- लोग बोले, जाम रोज की समस्या बन चुकी है, प्रशासन स्थायी समाधान दे
स्थानीय लोगों का कहना है कि जाम अब अपवाद नहीं, बल्कि रोजमर्रा की परेशानी बन गया है। ट्रकों की बढ़ती संख्या और स्थानीय मार्गों की क्षमता से ज्यादा दबाव के कारण यह समस्या लगातार गहराती जा रही है।लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जाम का स्थायी समाधान तलाशने की जरूरत है। हर बार ट्रैफिक बढ़ता है और प्रशासन कुछ समय के लिए सक्रिय होता है, फिर वही स्थिति लौट आती है।
-- दो साल से अधूरा डुमरांव बाइपास निर्माण भी बड़ी वजह
डुमरांव में पिछले दो वर्षों से बाइपास सड़क का निर्माण अधूरा पड़ा है। इस कारण शहर के भीतर भारी वाहनों को गुजरना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि बाइपास बनकर तैयार हो जाता, तो इतना भीषण जाम शायद कभी नहीं लगता।हालांकि अधिकारियों ने कई बार प्रोजेक्ट को जल्द पूरा कराने का आश्वासन दिया है, लेकिन जमीन अधिग्रहण और तकनीकी अनुमोदन जैसी प्रक्रियाओं में देरी के चलते काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

जाम के कई घंटों तक जारी रहने के बावजूद गुरुवार को ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए प्रशासन की ओर से किसी बड़ी कार्रवाई का पता नहीं चला। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि यूपी प्रशासन के फैसले की जानकारी पहले ही मिल जाती तो बक्सर जिला प्रशासन वैकल्पिक प्रबंधन कर स्थिति को संभाल सकता था।
