महरौरा गांव में पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीण, प्रशासन बना मौन

महरौरा गांव में पेयजल संकट को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और प्रशासन मौन साधे हुए है। गांव के लगभग एक दर्जन चापाकल खराब हो चुका है। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए पीएचईडी द्वारा लगाया गया बोरिंग पांच सालों से खराब पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं समर्थवान लोगों ने जो अपने घरों में चापाकल लगा रखा है

महरौरा गांव में पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीण, प्रशासन बना मौन

गांव के एक चापाकल से पूरे गांव की बूझती है प्यास,

केटी न्यूज, डुमरांव

महरौरा गांव में पेयजल संकट को लेकर हाहाकार मचा हुआ है और प्रशासन मौन साधे हुए है। गांव के लगभग एक दर्जन चापाकल खराब हो चुका है। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए पीएचईडी द्वारा लगाया गया बोरिंग पांच सालों से खराब पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं समर्थवान लोगों ने जो अपने घरों में चापाकल लगा रखा है, उसका लेयर भाग चुका है, लिहाजा सभी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पूरा गांव दलित और महादलितों का है,

बावजूद इस पर किसी का ध्यान नहीं है। ग्रामीण एक  चापाकल के भरोसे में अपना दिन गुजार रहे हैं। एक चापाकल को लेकर आपसी दुश्मनी भी हो जाती है। पेयजल संकट से जूझ रहे लोग कभी वार्ड पार्षद, कभी चेयरमेन, कभी प्रखंड प्रशासन तो भी अनुमंडल प्रशासन से पेयजल के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनका सुनने वाला कोई नहीं है। महादलित परिवार तो और परेशान है, उन्हें पेयजल के लिए लंबी दूरी तय कर जाना पड़ता है।

इतना ही नहीं बासी पानी पीने पर भी सभी मजबूर हैं। वहीं ग्रामीण मंटू राम, संतोष कुमार, बालेश्वर राम, विकास राय, घुरहु चौधरी, बाबूलाल राम, उमाशंकर राय, विकास कुमार, अजीत कुमार, दिनेश राय, अनिल राय सहित अन्य का कहना है कि हमलोगों की परेशानी को देखने वाला कोई नहीं है, ग्रामीण दर-दर भटकने पर मजबूर हैं।

इतना ही नहीं जो बोरिंग पीएचईडी द्वारा लगाया गया है और खराब हो चुका है, उसे नप को हैंडओवर भी नहीं किया जा रहा है। हैंडओवर हुआ रहता तो बोरिंग कब का बन गया रहता। इस संबंध में चेयरमैन सुनीता गुप्ता, उप चेयरमैन विकास ठाकुर, वार्ड पार्षद अनिल राय का कहना है कि सभी वार्ड में चार बोरिंग प्रस्तावित है, स्थल चयनित कर लगाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी।