वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर बक्सर में होगा सेमिनार, राष्ट्रीय चेतना के भाव पर होगा मंथन

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बक्सर में एक विशेष संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें भारत बोध, राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक अस्मिता और वंदे मातरम् के साहित्यिक व ऐतिहासिक महत्व पर चिंतन-मनन किया जाएगा। यह जानकारी बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के दुबौली गांव निवासी व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा संघ के इतिहास संकलन योजना दिल्ली प्रांत के उपाध्यक्ष प्रो. अखिलेश दुबे ने दी।

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर बक्सर में होगा सेमिनार, राष्ट्रीय चेतना के भाव पर होगा मंथन

-- भारत बोध और राष्ट्र प्रथम की भावना पर केंद्रित होगा कार्यक्रम, वीकेएसयू के कुलपति को भी मिलेगा आमंत्रण

केटी न्यूज/बक्सर

वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बक्सर में एक विशेष संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें भारत बोध, राष्ट्रीय चेतना, सांस्कृतिक अस्मिता और वंदे मातरम् के साहित्यिक व ऐतिहासिक महत्व पर चिंतन-मनन किया जाएगा। यह जानकारी बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के दुबौली गांव निवासी व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा संघ के इतिहास संकलन योजना दिल्ली प्रांत के उपाध्यक्ष प्रो. अखिलेश दुबे ने दी।

उन्होंने बताया कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को अभिव्यक्त करने वाला एक मंत्र है, एक संकल्प है तथा राष्ट्रीय गौरव का शाश्वत प्रतीक है। इसमें देश की संस्कृति, प्रकृति, अस्मिता और राष्ट्रभाव की अद्भुत छवि समाहित है। प्रो. दुबे के अनुसार, वंदे मातरम् में भारत माता की भव्यता, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक चेतना और देशभक्ति का जो अलौकिक भाव मिलता है, वह राष्ट्र के निर्माण और समाज के मंथन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि 1937 में वंदे मातरम् की मूल पंक्तियों को हटाने के दूरगामी दुष्परिणाम सामने आए, जिसके परिणामस्वरूप 1947 में देश का विभाजन हुआ। उनके अनुसार, यह विषय केवल इतिहास का अध्याय नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक स्वाभिमान से गहराई से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसके साहित्यिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पक्षों पर गंभीर विमर्श का समय आ गया है।

प्रो. दुबे ने बताया कि आज दिल्ली स्थित केशवकुंज झंडेवालान, केंद्रीय कार्यालय में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर विशेष प्रबोधन दिया गया और भारत बोध के इस विषय को राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाने पर बल दिया गया। इसी क्रम में बक्सर में भी वंदे मातरम् पर आधारित एक बड़े कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। इसमें प्रदेश और देश के विद्वान, शोधकर्ता, सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तित्व तथा विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

उन्होंने कहा कि बक्सर की ऐतिहासिक धरती सदैव राष्ट्र चेतना का केंद्र रही है। ऐसी पावन भूमि पर वंदे मातरम् के 150 वर्ष के उपलक्ष्य में संगोष्ठी आयोजित होना जिले के लिए गौरव की बात होगी। कार्यक्रम में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के कुलपति को भी आमंत्रित किया जाएगा, ताकि इस विषय पर शैक्षणिक दृष्टि से भी विस्तृत और प्रभावी चर्चा हो सके।

उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् राष्ट्र प्रथम की भावना का प्रतीक है और देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूती देने वाला सूत्र है। इसलिए इस अवसर पर केवल समारोह नहीं, बल्कि चिंतन, मनन और विमर्श आवश्यक है, जिससे नई पीढ़ी भी इस गीत के माध्यम से राष्ट्र के प्रति जागरूकता और गर्व के भाव को आत्मसात कर सके।