मेहनताना न मिलने से जूझ रहे पीडीएस विक्रेता, भुखमरी की कगार पर पहुंचे

जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) विक्रेता पिछले सात माह से मेहनताना यानी मार्जिन मनी के भुगतान से वंचित हैं। फरवरी से अगस्त तक की राशि न मिलने से विक्रेताओं की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। परिवार के खर्च, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ा, लेकिन अब कर्जदाता भी हाथ खड़े करने लगे हैं।

मेहनताना न मिलने से जूझ रहे पीडीएस विक्रेता, भुखमरी की कगार पर पहुंचे

केटी न्यूज/डुमरांव।

जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) विक्रेता पिछले सात माह से मेहनताना यानी मार्जिन मनी के भुगतान से वंचित हैं। फरवरी से अगस्त तक की राशि न मिलने से विक्रेताओं की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। परिवार के खर्च, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ा, लेकिन अब कर्जदाता भी हाथ खड़े करने लगे हैं।

नवानगर प्रखंड अध्यक्ष एवं जिला उपाध्यक्ष शिव चन्द्र सिंह ने कहा कि विक्रेता इतनी विपरीत परिस्थिति में हैं कि कहीं कोई आत्मघाती कदम न उठा लें। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी नौबत आने पर क्या सिस्टम इसकी जिम्मेदारी लेगा? अनुमंडल अध्यक्ष भुटेश्वर सिंह ने कहा कि फरवरी से मई तक की मार्जिन मनी बिहार सरकार ने जिले को भेज दी है, लेकिन जिला प्रशासन अब तक विक्रेताओं के खाते में राशि हस्तांतरित नहीं कर पाया है।

नगर अध्यक्ष पारस नाथ सिंह ने आशंका जताई कि दशहरा, दीपावली और छठ जैसे बड़े पर्व भी विक्रेताओं के लिए बेरौनक गुजरेंगे क्योंकि भुगतान की कोई संभावना नहीं दिख रही। वहीं, डीएमएसएफसी द्वारा भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। महिला विक्रेता उर्मिला देवी ने बताया कि उनकी बच्ची का स्टोन ऑपरेशन पैसों की कमी से अटका हुआ है।

अनुमंडल सचिव शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि स्कूल–कॉलेजों से फीस जमा करने का दबाव बढ़ रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होने की आशंका है। स्थिति से क्षुब्ध विक्रेता अब आंदोलन की राह पकड़ने और राशन वितरण बंद करने के मूड में हैं। उनका कहना है कि जब पेट ही खाली रहेगा तो राशन व्यवस्था चलाना असंभव है—“भूखे भजन न होई गोपाला।”