नवजात शिशु की मौत के बाद नर्सिंग होम में परिजनों ने काटा बवाल पैसे के लिए शिशु का नहीं शव नही देेने का आरोप

नवजात शिशु की मौत के बाद नर्सिंग होम में परिजनों ने काटा बवाल पैसे के लिए शिशु का नहीं शव नही देेने का आरोप

 

केटी न्यूज/बलिया। 

 

नगर के अपूर्वा नर्सिंग होम में  नवजात शिशु की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया गया। परिजनों का आरोप है कि मात्र पैसा लेने के लिए पहली जनवरी को मर चुके बच्चे को वेंटीलेटर पर रखा गया था, जिसको आज सुबह मरा हुआ बताया गया। मृत शिशु के पिता ने अस्पताल के अंदर चलने वाली मेडिकल दुकान के कर्मचारियों पर बदतमीजी करने का आरोप लगाया है। 

बता दें कि नगर में संचालित अपूर्वा नर्सिंग होम अपनी लापरवाहियों और दबंगई के लिए अक्सर चर्चा में रहता है। शायद ही कोई साल ऐसा होगा, जहां जच्चा- बच्चा की मौत के बाद हंगामा न होता हो। मृत शिशु के पिता दीपक ने बताया कि पूरे नौ माह तक अपूर्वा नर्सिंग होम की डॉक्टर से इलाज करवाया। पिछले 30 दिसंबर 2023 को सामान्य प्रसव से बच्चा पैदा हुआ।

बच्चे के पैदा होने के बाद डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इसको वेंटीलेटर पर 24 घंटे के लिए रखना पड़ेगा। इसका चार्ज प्रतिदिन पांच हजार के साथ दवाओं का अलग से चार्ज लगेगा। मेरे द्वारा बच्चे के अच्छे उपचार के लिए इनकी हर बात मान ली। बच्चे को 30 दिसंबर से वेंटीलेटर पर था। इन लोगों ने यह भी कहा कि यहां आप लोगों को रहने की कोई जरूरत नहीं है, घर जा सकते है।

एक जनवरी 2024 को जब मैं अपने बच्चे को घर ले जाने की बात कही तो इन लोगों ने और 24 घंटे बच्चे को छोटे वेंटीलेटर पर रखने की बात कही। आज मंगलवार की सुबह करीब आठ बजे मेरे मोबाइल पर फोन आया कि आपके बच्चे की हालत खराब है, इसके नाक से खून निकल रहा है, जल्दी आ जाइए। सूचना मिलते ही मैं अस्पताल पहुंचा तो इन लोगों ने कहा कि आपका बच्चा मर गया है।

जब मैंने अपने बच्चे को देखा तो उसके चेहरे पर कही भी खून का निशान नहीं दिखा। जब मैंने खून के निशान के बारे में बात की और दिखाने को कहा तो इन लोगों ने कहा कि दाग पोछ दिया गया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक घंटे में ही मेरा बच्चा सुख गया था। मुझे लगता है कि मेरे बच्चे की मौत सोमवार को ही हो गयी थी और ये लोग पैसा लेने के लिए उसको वेंटीलेटर पर रखे हुए थे। इस दौरान परिजनों द्वारा हंगामा करने और मीडियाकर्मियों के आ जाने के बाद आनन-फानन में बच्चें के परिजनों से लिए गए 30 हजार रुपए वापस करके उनको घर भेज दिया। इस बारे में अस्पताल की संचालिका से पक्ष जानने की कोशिश की गई तो वह बयान देने से इंकार कर दिया।