मेहनत की मिशाल, राजेन्द्र उपाध्याय बने कस्टम इंस्पेक्टर, गांव व परिवार में खुशी की लहर
यदि इरादे बुलंद हों और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं रहती। यह साबित कर दिखाया है प्रखंड के दसियांव गांव निवासी अजय कुमार उपाध्याय के बेटे राजेन्द्र उपाध्याय ने, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एसएससी-सीजीएल परीक्षा में 4214वीं रैंक प्राप्त कर कस्टम इंस्पेक्टर पद पर चयन हासिल किया है।किसान परिवार में पले-बढ़े राजेन्द्र ने बचपन से ही शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया।

केटी न्यूज/केसठ
यदि इरादे बुलंद हों और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं रहती। यह साबित कर दिखाया है प्रखंड के दसियांव गांव निवासी अजय कुमार उपाध्याय के बेटे राजेन्द्र उपाध्याय ने, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से एसएससी-सीजीएल परीक्षा में 4214वीं रैंक प्राप्त कर कस्टम इंस्पेक्टर पद पर चयन हासिल किया है।किसान परिवार में पले-बढ़े राजेन्द्र ने बचपन से ही शिक्षा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया।
उनके पिता अजय कुमार उपाध्याय एक प्राइवेट शिक्षक हैं और मां कंचन देवी एक गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद परिवार ने राजेन्द्र की पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं आने दी। मुगलसराय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले राजेन्द्र ने अपने दृढ़ संकल्प से यह मुकाम हासिल किया।राजेन्द्र वर्तमान में बेंगलुरु में नियुक्त हुए हैं। उनकी सफलता से पूरे गांव और परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटीं और परिवारजनों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं।
राजेन्द्र ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह सफलता मेरे माता-पिता, परिवार और मेरे शिक्षकों के सहयोग से संभव हो पाई है। मैं अपने कर्तव्यों का पालन पूरी ईमानदारी से करूंगा और आने वाले वर्षों में यूपीएससी पास कर देश की सेवा करना चाहता हूं। गौरतलब है कि राजेन्द्र पिछले छह वर्षों से रेलवे में सेवादे रहे थे। इस दौरान वे नौकरी के साथ-साथ निरंतर सीजीएल की तैयारी भी करते रहे।
पहले प्रयास में असफलता मिलने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरे प्रयास में यह बड़ी सफलता हासिल की। उनकी यह यात्रा उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने का जज्बा रखते हैं।