बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड: सीबीआई ने कोर्ट में सौंपी डायरी एक फरवरी को होनी है सुनवाई

बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड: सीबीआई ने कोर्ट में सौंपी डायरी एक फरवरी को होनी है सुनवाई

केटीन्यूज/आरा

बहुचर्चित बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड में सीबीआई ने सोमवार को कोर्ट में डायरी सौंप दी। उसके लिए सीबीआई के अफसर दोपहर में कोर्ट पहुंचे थे। सीबीआई की ओर से 168 पेज की डायरी सहित करीब पांच सौ पन्ने के दस्तावेज कोर्ट में सौंपे गये

इस मामले में एक फरवरी को सुनवाई होनी है। एपीपी सियाराम सिंह द्वारा डायरी सौंपे जाने की पुष्टि की गयी है। उन्होंने कहा कि डायरी आने से केस की सुनवाई और आगे की कार्रवाई में आसानी होगी। बता दें कि दस साल की जांच के बाद सीबीआई की ओर से दिसंबर माह में आरा के तृतीय अपर जिला एवं सेशन कोर्ट सह विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में पूरक चार्जशीट दाखिल की गयी थी

तब सीबीआई की ओर से डायरी नहीं सौंपी गयी थी। चार्जशीट में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय सहित आठ लोगों को आरोपित किया गया है। अन्य आरोपितों में नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, अभय पांडेय, रितेश कुमार उर्फ मोनू, प्रिंस पांडेय, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय, बालेश्वर पांडेय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय शामिल हैं

सभी पर राजनीतिक षड़यंत्र के तहत बरमेश्वर मुखिया की हत्या करने का आरोप लगाया गया है। इनमें अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश उर्फ मोनू और प्रिंस पांडेय पहले से इस केस में भोजपुर पुलिस की ओर से चार्जशीटेड थे और जमानत थे। वहीं हुलास पांडेय, मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय, बालेश्वर राय, अमितेश पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय नये आरोपित हैं। इन चारों को अभी जमानत लेना है। 

जून 2012 में हुई थी हत्या, 13 जुलाई 2013 को सीबीआई को मिला था जांच का जिम्मा 

बताते चलें एक जून 2012 की सुबह नवादा थाना क्षेत्र के कतीरा-स्टेशन रोड में अपने आवास के सामने टहल रहे रणवीर सेना के प्रमुख रहे बरमेश्वर सिंह उर्फ बरमेश्वर मुखिया की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। तब भोजपुर और पटना सहित अन्य जिलों में जमकर उपद्रव मचा था। हत्या को लेकर उनके पुत्र की ओर ले अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।

शुरुआत में भोजपुर पुलिस की ओर से एसआईटी गठित कर जांच शुरू की गयी थी। बाद में राजनीतिक दबाव में केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। 13 जुलाई 2013 में सीबीआई ने केस अपने हाथ में लिया था। करीब दस साल तक चली जांच के बाद सीबीआई की ओर से पूरक चार्जशीट दाखिल की गयी।