रघुनाथपुर स्टेशन पर टेªनों की ठहराव और सुविधाओं की मांग तेज
रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं की कमी और एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर सोमवार की सुबह रेल यात्री कल्याण समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने रेल चक्का जाम कर दिया। करीब 43 मिनट तक अप लाइन पर परिचालन बाधित रहा। इस दौरान 13209 पैसेंजर ट्रेन और उसके पीछे खड़ी कई एक्सप्रेस गाड़ियां थम गईं। यात्रियों को असुविधा जरूर हुई, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना था कि यह तकलीफ दशकों से हो रही उपेक्षा की तुलना में कुछ भी नहीं है।

-- 43 मिनट रेल-चक्का जाम के बाद यात्रियों की आवाज़ गूंजी, बोले आंदोलनकारी अब वादों से नहीं चलेगा काम
केटी न्यूज/ब्रह्मपुर
रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं की कमी और एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर सोमवार की सुबह रेल यात्री कल्याण समिति के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों ने रेल चक्का जाम कर दिया। करीब 43 मिनट तक अप लाइन पर परिचालन बाधित रहा। इस दौरान 13209 पैसेंजर ट्रेन और उसके पीछे खड़ी कई एक्सप्रेस गाड़ियां थम गईं। यात्रियों को असुविधा जरूर हुई, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना था कि यह तकलीफ दशकों से हो रही उपेक्षा की तुलना में कुछ भी नहीं है।
-- डीआरएम से टेलीफोनिक वार्ता, तब जाकर खुला रास्ता
सुबह से ही समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर पाठक और संयोजक नागेंद्र मोहन सिंह, प्रभु मिश्रा व सोनू दुबे के नेतृत्व में ग्रामीण स्टेशन परिसर में जुट गए थे। हाथों में तख्तियां लिए लोग रेलवे प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। मौके पर भारी पुलिस बल और आरपीएफ की तैनाती रही। आंदोलनकारियों से डीआरएम की टेलीफोनिक बातचीत कराई गई, तब जाकर भीड़ अप लाइन से हटी और परिचालन सामान्य हो सका।
-- ठहराव ही नहीं, स्टेशन की हालत भी चिंता का विषय
समिति की प्रमुख मांग है कि रघुनाथपुर स्टेशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस, पंजाब मेल और बनारस जनशताब्दी एक्सप्रेस का ठहराव सुनिश्चित किया जाए। यात्रियों का कहना है कि रोज़ हजारों लोग इस स्टेशन से यात्रा करते हैं, लेकिन एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होने से उन्हें बक्सर, आरा या बक्सर रोड जैसे बड़े स्टेशनों तक जाना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती है।
ठहराव के अलावा स्टेशन की जर्जर स्थिति भी लोगों के गुस्से की वजह है। यहां न साफ-सफाई की व्यवस्था है, न ढंग का प्रतीक्षालय और न ही शुद्ध पेयजल। टिकट काउंटर पर भी अव्यवस्था का आलम हैकृजनरल और तत्काल टिकट एक ही खिड़की से मिलने के कारण रोजाना अफरा-तफरी का माहौल रहता है। यात्रियों ने आरोप लगाया कि ष्अमृत भारत योजनाष् के तहत विकास कार्य समय से पूरे नहीं हो पा रहे हैं और सारी योजनाएं कागजों में अटकी पड़ी हैं।
-- वादों की याद दिलाई, संवेदनशीलता भूला प्रशासन
आंदोलन के दौरान समिति के सदस्य मनीष भारद्वाज ने याद दिलाया कि डेढ़ साल पहले जब नॉर्थईस्ट एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, तब रघुनाथपुर और आसपास के ग्रामीण ही यात्रियों के लिए सबसे पहले राहत बनकर सामने आए थे। लोगों ने भोजन, पानी, दवा और वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाने तक का जिम्मा उठाया था। उस समय रेलवे अधिकारियों ने
ग्रामीणों को कर्मवीर और देवपुरुष कहकर सम्मानित किया और ठहराव व सुविधाओं का वादा किया था। मगर आज, डेढ़ साल बाद भी उस वादे की कोई सुध नहीं ली गई। ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों के लिए वादा निभाना मानो ष्टेप रिकॉर्डर की रटष् बन चुका है कि ज्ञापन मिला है, कार्रवाई होगी, इंतजार कीजिए। इसी रवैये ने आंदोलन को जन्म दिया है।
-- जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर नाराज़गी
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि इतने बड़े आंदोलन के बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन पूरी तरह नदारद रहे। ग्रामीणों ने नाराज़गी जताई कि चुनाव के वक्त नेता हर गली-मोहल्ले तक पहुंच जाते हैं, लेकिन अब हजारों लोगों की आवाज़ पर भी वे चुप्पी साधे बैठे हैं।
-- आंदोलन सिर्फ ठहराव नहीं, जनआक्रोश का प्रतीक
रेल यात्री कल्याण समिति ने साफ चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही ठहराव और सुविधाओं की मांग पूरी नहीं की गई तो आंदोलन और बड़े स्तर पर होगा। इस बार का रेल रोको केवल ट्रेन ठहराव की लड़ाई नहीं था, बल्कि यह उपेक्षा, वादाखिलाफी और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ जनआक्रोश का प्रतीक बन चुका है।
ग्रामीणों का संदेश साफ है कि अब वे आधे-अधूरे भरोसों से संतुष्ट नहीं होंगे। गेंद रेलवे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के पाले में है। यदि आवाज़ को फिर अनसुना किया गया तो आने वाले दिनों में रघुनाथपुर से उठने वाली यह चिंगारी बड़े आंदोलन का रूप ले सकती है।