यह मन्दिर है 'भूतों का सुप्रीम कोर्ट'

भूतों के बारे में आपने बहुत सुना होगा।आज हम आपको भूतों के सुप्रीम कोर्ट के बारें में बतायेंगे।ये वो जगह है जहां लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए भाग जाते हैं।

यह  मन्दिर है 'भूतों का सुप्रीम कोर्ट'
Supreme Court of Ghosts

केटी न्यूज़/बिहार

भूतों के बारे में आपने बहुत सुना होगा।आज हम आपको भूतों के सुप्रीम कोर्ट के बारें में बतायेंगे।ये वो जगह है जहां लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए भाग जाते हैं।यहां 650 सालों से भूतों का मेला लगता है।21वीं सदी में विज्ञान की तरक्की बिहार के इस मंदिर में कोई काम नहीं आती। आत्माओं के शुद्धीकरण और उनका उद्धार कैमूर के इस मंदिर में होता है।यहां एक ऐसा मेला लगता है, जहां भूत-प्रेतों का दरबार सजता है।

बिहार के कैमूर जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिसे लोग भूत-प्रेत मुक्ति मंदिर बोलते हैं। यहां एक ऐसा मेला लगता है जहां भूत-प्रेतों का दरबार सजता है। ओझा-बाबा आते हैं और लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए को भगाते हैं। ये मंदिर कैमूर जिले के चैनपुर में मौजूद है तथा इसका वास्तविक नाम 'हरसु ब्रह्माधाम' है। यहां आने के बाद ओझा के बताए मुताबिक, लोग धूप, बत्ती एवं कपूर के साथ पूजा की सामग्री खरीदते हैं। फिर मंदिर परिसर में आरम्भ हो जाता है भूतों को भगाने का सिलसिला। इलाज के लिए यहां लोगों की भीड़ उमड़ती है। लोगों के अनुसार, जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता। स्थानीय लोगों के अनुसार, हरसू ब्रह्माधाम को भूतों का सर्वोच्च न्यायालय भी बोला जाता है। इस धाम पर हर साल हजारों भक्त आते हैं जो अपने शरीर से बुरी आत्मा को भगाकर बाबा का नाम लेते हुए अपने घर को लौटते हैं।यहां 650 वर्षों से भूतों का मेला लगता है। धाम पर बिहार के अतिरिक्त झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा देश के कई प्रदेशों से लोग पहुंचते हैं। वही मंदिर परिसर में पूजा पाठ तथा तंत्र मंत्र के अतिरिक्त भूतों को भगाने के लिए खास पूजा का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर के लिए बकायदा एक ट्रस्ट का निर्माण हुआ है।

अब हम आपको बतातें है इस मंदिर के इतिहास के बारे में यह मंदिर 1428 ईवी के दौरान का है जब यहां राजा शालिवाहन का राज था।हरसू पांडे राजा शालिवाहन के मंत्री और राजपुरोहित थे। राजा शालिवाहन को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी।उसके बाद हरसू ने उन्हें कई तरह के सुझाव दिये।यहां तक कि उन्हें दूसरी शादी करने की सलाह भी दी। राजा की पहली पत्नी राजस्थान की थी। इसके बाद राजा ने छत्तीसगढ़ की एक राजकुमारी से शादी की जिनसे उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई।उसके बाद से ही मंदिर में पुत्र की प्राप्ति के साथ भूतों से छुटकारा पाने के लिए लोग यहां आने लगे। यहां दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की स्थापना की गई है।हरसू धाम विकास परिषद के अध्यक्ष राकिशोर त्रिपाठी बताते हैं कि मंदिर की पूरे देश में अलग पहचान है। यहां बुरी आत्मा से प्रभावित लोग आते हैं और ठीक होकर जाते हैं। यहां अंधविश्वास नहीं बल्कि मन में आस्था रखने वाले भक्तों का स्वागत होता है और बाबा उनका दुख हर लेते हैं