निजी और सरकारी विद्यालय बंद लेकिन आंगनबाड़ी चालू ; छोटे बच्चों को हो रही परेशानी

जिले में भीषण गर्मी और लू के प्रकोप से आम जनजीवन बेहाल है। हालांकि अब मानसून आने ही वाला है लेकिन अब भी तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन ने सरकारी और निजी विद्यालयों को आगामी 23 जून तक बंद रखने का आदेश जारी किया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। लेकिन हैरानी की बात यह है

निजी और सरकारी विद्यालय बंद लेकिन आंगनबाड़ी चालू ; छोटे बच्चों को हो रही परेशानी

केटी न्यूज़/बक्सर 

जिले में भीषण गर्मी और लू के प्रकोप से आम जनजीवन बेहाल है। हालांकि अब मानसून आने ही वाला है लेकिन अब भी तापमान लगातार 40 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन ने सरकारी और निजी विद्यालयों को आगामी 23 जून तक बंद रखने का आदेश जारी किया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। लेकिन हैरानी की बात यह है

कि आंगनबाड़ी केंद्र अब भी खुले हुए हैं, जिससे छोटे-छोटे बच्चों को चिलचिलाती धूप में आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की दोहरी नीति बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। जहां एक तरफ बड़े बच्चों के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं, वहीं आंगनबाड़ी में आने वाले तीन से छह वर्ष के मासूम बच्चों को भीषण गर्मी में केंद्र भेजना समझ से परे है। 

महत्वाकांक्षी योजना पर लग सकता है ग्रहण : सीडीपीओ

कई अभिभावकों ने बताया कि बच्चों की तबीयत गर्मी के कारण खराब हो रही है। कुछ ही दिनों पहले डुमरांव के एक बुनियाद केंद्र में बच्चों की तबीयत बिगड़ने का मामला सामने आया था, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध भी जताया था। मामले में डुमरांव बाल विकास परियोजना पदाधिकारी नीरू बाला से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने का फिलहाल कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, बच्चों को टीएचआर के तहत जरूरी पोषाहार दिया जाता है, जो उनके समग्र विकास के लिए बेहद जरूरी है। यदि केंद्रों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है, तो बच्चे पोषाहार से वंचित हो जाएंगे। ऐसे में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लग सकता है।

पोषाहार घर घर वितरित करें

सीडीपीओ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि विभाग की ओर से कोई दिशा-निर्देश आता है तो उसके अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने संकेत दिया कि अगर केंद्रों में पठन-पाठन स्थगित भी होता है, तब भी पोषाहार वितरण की व्यवस्था को बरकरार रखा जाएगा, ताकि बच्चों का पोषण प्रभावित न हो। सीडीपीओ ने कहा कि चूंकि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दूर से नहीं आना होता है, ऐसे में छुट्टी को लेकर विभागीय दिशानिर्देश प्राप्त नहीं है। इस मुद्दे पर एक सामाजिक कार्यकर्ता सह रोगी कल्याण समिति के सदस्य अजय राय ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए। पोषाहार जरूरी है, लेकिन अगर इसके लिए बच्चों को जोखिम में डालना पड़े तो यह कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता। प्रशासन को कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए, जैसे कि पोषाहार घर-घर जाकर वितरित किया जाए।

क्या होगा फैसला, देखना तय

वहीं कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं का कहना है कि भीषण गर्मी में खुद कार्यकर्ता भी संकट में हैं। न तो केंद्रों में पंखे हैं, न पेयजल की समुचित व्यवस्था। ऐसे में बच्चों और हम सेविकाओं को काफी कठिनाई होती है, एक सेविका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सेंटरों में इस भीषण गर्मी में काफी परेशानी हो रही है। इस मामले को लेकर कई अभिभावक जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जैसे विद्यालयों के लिए गर्मी की छुट्टी की घोषणा की गई है, वैसे ही आंगनबाड़ी केंद्रों को भी तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए, या कम से कम बच्चों को बुलाना अनिवार्य न किया जाए। इस फैसले पर स्थानीय लोगों ने जल्द से जल्द कारवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि विभाग क्या फैसला लेता है?

बुलाना अनिवार्य न किया जाए 

अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ गिरीश सिंह ने बताया कि बच्चों का शरीर अत्यधिक तापमान को सहन नहीं कर पाता, जिससे लू और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं तेजी से हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान मौसम में छोटे बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। डॉ सिंह ने सुझाव दिया कि बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य दोनों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित और व्यवहारिक निर्णय लिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अगर आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करना संभव न हो तो कम से कम बच्चों को केंद्र बुलाना अनिवार्य न किया जाए और पोषाहार घर पर पहुंचाने की व्यवस्था हो। फिलहाल अब नजरें जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग पर टिकी हैं कि वे इस संवेदनशील विषय पर क्या संयुक्त निर्णय लेते हैं और क्या छोटे बच्चों को भी भीषण गर्मी से राहत देने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को अस्थायी रूप से बंद किया जाएगा या नहीं।

कहती है सीडीपीओ

आंगनबाड़ी बंद करने का अभी तक कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। केंद्र बंद हुए तो बच्चों को पोषाहार से वंचित होना पड़ सकता है। हम बच्चों को पौष्टिक आहार मुहैया कराते है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में सामान्य भोजन से अधिक ज्यादा प्रभावशाली है। केंद्र बंद हुए तो बच्चों को पोषाहार देने में कठिनाई होगी।

नीरू बाला, सीडीपीओ, डुमरांव