11 सूत्री मांगों को लेकर कार्यपालक सहायकों का पांचवें दिन समाहरणालय के पास धरना

कार्यपालक सहायक हैं तो ही बिहार डिजिटल है, समाहरणालय के पास रविवार को गूंजते इस नारे ने सरकारी व्यवस्था की एक बड़ी सच्चाई सामने रख दी। पंचायत से लेकर सचिवालय तक योजनाओं के क्रियान्वयन में जिनकी भूमिका अनिवार्य है, वही कार्यपालक सहायक आज खुद अपनी पहचान और अधिकार के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं।

11 सूत्री मांगों को लेकर कार्यपालक सहायकों का पांचवें दिन समाहरणालय के पास धरना

केटी न्यूज/बक्सर

कार्यपालक सहायक हैं तो ही बिहार डिजिटल है, समाहरणालय के पास रविवार को गूंजते इस नारे ने सरकारी व्यवस्था की एक बड़ी सच्चाई सामने रख दी। पंचायत से लेकर सचिवालय तक योजनाओं के क्रियान्वयन में जिनकी भूमिका अनिवार्य है, वही कार्यपालक सहायक आज खुद अपनी पहचान और अधिकार के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं।

रविवार को बिहार राज्य कार्यपालक सेवा संघ के बैनर तले जिले के कार्यपालक सहायकों ने पांचवें दिन एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष दीनानाथ सिंह ने की, जबकि संचालन सचिव राजेश कुमार ने संभाला। धरना स्थल पर सैकड़ों कार्यपालक सहायकों की मौजूदगी ने सरकार तक संदेश देने का काम किया कि अब उनकी अनदेखी बर्दाश्त नहीं होगी।

धरना में उपाध्यक्ष कमलेश ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि बिहार की डिजिटलीकरण व्यवस्था कार्यपालक सहायकों के बिना अधूरी है। वहीं रवि प्रजापति ने आंदोलन को “सरकार की उपेक्षा और सहायकों की नाराज़गी का प्रतीक” बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो आंदोलन और व्यापक होगा।

मीडिया प्रभारी राकेश कुमार ने भी कड़ा स्वर अपनाते हुए कहा कि गांवों से लेकर सचिवालय तक सरकारी योजनाओं को लागू करने में कार्यपालक सहायकों का सीधा हाथ है, लेकिन इसके बावजूद उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

-- कार्यपालक सहायकों की मुख्य मांगें

धरना में बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव महेंद्र पासवान विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कार्यपालक सहायकों की लड़ाई सिर्फ सम्मान की नहीं, बल्कि सिस्टम की मजबूती की भी है।

उन्होंने बताया कि सहायकों की मुख्य मांगों में सेवा संवर्ग का गठन, स्थायीकरण कर राज्यकर्मी का दर्जा देने, सातवें वेतन आयोग के तहत लेवल-4 से 6 तक वेतनमान देने तथा न्यूनतम योग्यता इंटरमीडिएट तय करना शामिल है। धरना स्थल पर महेंद्र पासवान का जोरदार स्वागत किया गया। जिलाध्यक्ष दीनानाथ सिंह, सचिव राजेश कुमार और कोषाध्यक्ष जितेंद्र पासवान ने उन्हें साल भेंट कर सम्मानित किया। फूल-मालाओं से अभिनंदन कर कार्यपालक सहायकों ने यह जताया कि उनकी लड़ाई अकेली नहीं है,

बल्कि पूरे कर्मचारी संगठन का समर्थन उन्हें हासिल है।धरना स्थल पर अभय कुमार, घनश्याम, प्रेम प्रकाश, निर्मल, बबलू पासवान, रिशु लाल, आमिर हक अंसारी, बृजेश ओझा, प्रदीप कुमार, आशुतोष मिश्रा, जितेंद्र कुमार, कमलेश शर्मा, शुभम कुमार, वेद प्रकाश, नवनीत सिंह, मुरारी सिंह सहित सैकड़ों कार्यपालक सहायकों की उपस्थिति ने माहौल को जोश से भर दिया।

कार्यक्रम के अंत में नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई मांगों की पूर्ति तक जारी रहेगी। सरकार के रवैये से नाराज कार्यपालक सहायकों ने दोहराया कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन सिर्फ धरना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सड़क से लेकर सचिवालय तक उसका असर दिखेगा।

बक्सर से उठी यह आवाज बिहार सरकार के लिए चेतावनी है कि डिजिटल बिहार का पहिया उन्हीं हाथों से घूमता है, जिन्हें आज हक और पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।