गरीब बच्चों के बीच बंटी कॉपी-कलम, दिव्यांग विष्णु ने दिया समाज को बड़ा संदेश

डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 16 के महरौरा गांव में रविवार का दिन बच्चों के लिए खास बन गया। यहां बच्चों को शिक्षा सामग्री के रूप में कॉपी और कलम बांटी गई। यह आयोजन एपीडब्ल्यूडी संघ के प्रखंड अध्यक्ष एवं समाजसेवी विष्णु कुमार, आईबीएस कंप्यूटर क्लासेस (सफाखाना रोड) के डायरेक्टर विनीत कुमार तथा उनके बड़े भाई रिंकू के सौजन्य से किया गया।

गरीब बच्चों के बीच बंटी कॉपी-कलम, दिव्यांग विष्णु ने दिया समाज को बड़ा संदेश

- शिक्षक दिवस पर हुआ आयोजन, बच्चों के चेहरे खिले

केटी न्यूज/डुमरांव 

डुमरांव नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 16 के महरौरा गांव में रविवार का दिन बच्चों के लिए खास बन गया। यहां बच्चों को शिक्षा सामग्री के रूप में कॉपी और कलम बांटी गई। यह आयोजन एपीडब्ल्यूडी संघ के प्रखंड अध्यक्ष एवं समाजसेवी विष्णु कुमार, आईबीएस कंप्यूटर क्लासेस (सफाखाना रोड) के डायरेक्टर विनीत कुमार तथा उनके बड़े भाई रिंकू के सौजन्य से किया गया।

कार्यक्रम दरअसल हर साल शिक्षक दिवस के अवसर पर होता है, लेकिन इस बार विशेष कारणों से रविवार को आयोजित किया गया। जब छोटे-छोटे बच्चों ने नई कॉपी और कलम अपने हाथों में ली तो उनके चेहरे खिल उठे। बच्चों के उत्साह को देखकर वहां मौजूद लोग भी गदगद हो उठे।

सबसे खास पहलू यह रहा कि इस कार्यक्रम की अगुवाई दिव्यांग विष्णु कुमार ने की। वे खुद शारीरिक चुनौती से जूझ रहे हैं, फिर भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटते। गरीब परिवारों के बच्चों के बीच शिक्षा सामग्री वितरित कर उन्होंने न केवल अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं, बल्कि संकल्प को मजबूत करने का माध्यम है।

विष्णु कुमार ने इस मौके पर कहा कि “शिक्षा ही बच्चों का असली हथियार है। आज यदि उन्हें संसाधन नहीं मिले तो उनका भविष्य प्रभावित होगा। हमारा छोटा सा प्रयास उनके सपनों को पंख दे सकता है।”लोगों का कहना था कि विष्णु कुमार का यह प्रयास समाज के लिए प्रेरणा है। दिव्यांग होते हुए भी उन्होंने जिस तरह गरीब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी, वह मिसाल है। कार्यक्रम में मौजूद बच्चों और अभिभावकों ने भी आयोजकों के

इस योगदान को सराहा और आभार व्यक्त किया। शिक्षा सामग्री पाकर बच्चों ने वादा किया कि वे मन लगाकर पढ़ाई करेंगे और अपने सपनों को पूरा करेंगे। वहीं, समाजसेवियों का मानना है कि इस तरह के छोटे-छोटे प्रयास ही समाज को बेहतर दिशा दे सकते हैं।

इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि शिक्षक दिवस केवल गुरुओं का सम्मान भर नहीं है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य को संवारने का भी अवसर है। महरौरा गांव के इस आयोजन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि जब समाज के लोग आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठाते हैं, तो बदलाव अपने आप दिखने लगता है।