चौसा थर्मल प्लांट पर किसानों मजदूरों का तीखा प्रहार, प्रदूषण व रोजगार घोटाले पर फूटा गुस्सा

चौसा थर्मल पावर प्लांट से उत्पन्न समस्याओं को लेकर रविवार को प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा की महत्वपूर्ण बैठक पंचायत भवन, बनारपुर में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता घनश्याम चौधरी ने की, जबकि संचालन डॉ. विजय नारायण राय ने किया। कार्यक्रम में नंदलाल सिंह, इस्राइल खां, रामप्रवेश सिंह, नरेन्द्र तिवारी, ललितेश्वर राय समेत बड़ी संख्या में किसान, महिला मजदूर, बेरोजगार युवा और एसटीपीएल परियोजना से प्रभावित ग्रामीण मौजूद रहे।

चौसा थर्मल प्लांट पर किसानों  मजदूरों का तीखा प्रहार, प्रदूषण व रोजगार घोटाले पर फूटा गुस्सा

केटी न्यूज/चौसा

चौसा थर्मल पावर प्लांट से उत्पन्न समस्याओं को लेकर रविवार को प्रभावित किसान खेतिहर मजदूर मोर्चा की महत्वपूर्ण बैठक पंचायत भवन, बनारपुर में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता घनश्याम चौधरी ने की, जबकि संचालन डॉ. विजय नारायण राय ने किया। कार्यक्रम में नंदलाल सिंह, इस्राइल खां, रामप्रवेश सिंह, नरेन्द्र तिवारी, ललितेश्वर राय समेत बड़ी संख्या में किसान, महिला मजदूर, बेरोजगार युवा और एसटीपीएल परियोजना से प्रभावित ग्रामीण मौजूद रहे।

-- प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट पर चिंता

वक्ताओं ने आरोप लगाया कि चौसा थर्मल पावर प्लांट को बिना एफजीटी सिस्टम चालू किए ही संचालन शुरू कर दिया गया है। सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन नियंत्रित करने के लिए अनिवार्य यह मशीन लगभग 400 करोड़ की लागत से लगनी थी, लेकिन कंपनी ने इसे अब तक शुरू नहीं किया। इसके कारण क्षेत्र में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और ग्रामीणों में दमा, टीबी व आंखों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

-- एनजीटी नियमों के उल्लंघन का आरोप

बैठक में कहा गया कि कंपनी द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों की अनदेखी करते हुए घनी आबादी के बीच मालगाड़ी से कोयले की अनलोडिंग और डंपर में लोडिंग की जा रही है। इससे धूल और प्रदूषण लगातार फैल रहा है तथा स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं।

-- रोज़गार में धांधली का मुद्दा गरमाया

ग्रामीणों ने एसटीपीएल और उसकी सहयोगी कंपनी पावर मेक पर प्रभावित गांवों की अनदेखी कर बाहरी लोगों को घूस लेकर नौकरी देने का आरोप लगाया। स्थानीय युवाओं ने इसे अपने हक़ पर सीधा प्रहार बताया।

-- संवैधानिक और कानूनी अधिकारों के उल्लंघन की शिकायत

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम और संविधान प्रदत्त अधिकारों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। प्रभावित किसानों, मजदूरों और महिलाओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए, जिससे उनके जीवन-यापन पर गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है।

-- कंपनी और प्रशासन को अल्टीमेटम

बैठक में चेतावनी देते हुए कहा गया कि यदि समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ और प्रभावित परिवारों के अधिकारों का सम्मान नहीं किया गया, तो बड़ा जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा। अगली बैठक में एसटीपीएल कंपनी का संचालन ठप करने जैसे बड़े निर्णय की घोषणा की जा सकती है।