मशरूम की खेती के लिये किसानों को किया गया प्रोत्साहित

कृषि वैज्ञानिक किसानों को मशरूम की खेती करने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं। पीएमकेएसवाई के तहत तीन दिवसीय मशरूम की खेती करने के लिये ई-किसान भवन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण देने के लिये वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक पहुंचे हुए थे।

मशरूम की खेती के लिये किसानों को किया गया प्रोत्साहित

- मशरूम की खेती के लिये किसानों को किया गया प्रोत्साहित

- किसानों को वैज्ञानिकों ने बताया की 30 दिनों में तैयार हो जाता है मशरूम

केटी न्यूज/डुमरांव   

कृषि वैज्ञानिक किसानों को मशरूम की खेती करने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं। पीएमकेएसवाई के तहत तीन दिवसीय मशरूम की खेती करने के लिये ई-किसान भवन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण देने के लिये वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक पहुंचे हुए थे।

उन्होंने तीन घंटा ई-किसान भवन में किसानों को प्रशिक्षण देने के बाद कृषि महाविद्यालय में लेकर चले गए। वहां पर उनके द्वारा किसानों को बताया की मशरूम चार प्रकार के होते हैं, जिसमें छतरी वाला सबसे लाभदायक और कम समय में तैयार हो जाता है। बाजारों में उसकी मांग भी ज्यादा है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बीज की बिक्री भी की गई, जो प्रति किलो 100 रूपया था। चयनित आठ पंचायत मुंगांव, खेवली, मसर्हिया, नाचाप, आरियांव, एकराशी, चौंगाई व मुरार के किसान प्रशिक्षण में शामिल हुए।

 वैज्ञानिकों ने बताया की मशरूम चार प्रकार का होता है, उसमें सबसे अधिक फायदामंद छतरी वाला होता है। इसकी जब बुआयी की जाती है तो जो केमिकल का प्रयोग किया जाता है, उसे किसानों को बताया गया। फिर उन्हें यह बताया गया कि केमिकल की मात्र कितनी होगी, बताए अनुसार ही केमिकल का प्रयोग करना होगा, अन्यथा बीज को नुकसान पहुंच सकता है।

उन्हें बताया गया की जो छतरी वाला मशरूम बुआयी के 21 दिन के बाद पौधा निकल आता है, जो 30 दिनों के भीतर तैयार हो जाता है। कम दिनों में तेयार होने के कारण 12 महीने तक खेती की जा सकती है। बाजार में छतरी वाले मशरूम की डिमांड काफी है।

प्रशिक्षण देने वाले वैज्ञानिकों में कृषि महाविद्यालय के डा. मिथलेश कुमार, उप निदेशक आशीश कुमार, सहायक निदेशक भूमि संरक्षण शेखर कुमार, पीएमकेएसवाई-2.0 के राजू कुमार, एफई परवेज आलम मौजूद रहे।