डुमरांव में बिजली संकट पर शुरू हुआ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

डुमरांव में लगातार बिगड़ती बिजली व्यवस्था और उपभोक्ताओं की बढ़ती परेशानियों को लेकर अब हालात आंदोलन की स्थिति में पहुंच गए हैं। सामाजिक संस्था स्वयं शक्ति ने बिजली आपूर्ति में हो रही अनियमितताओं को लेकर गुरुवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। संगठन का आरोप है कि वर्षों से बिजली की समस्या जस की तस बनी हुई है, लेकिन विभाग केवल आश्वासन देकर मामले को टालता आ रहा है।

डुमरांव में बिजली संकट पर शुरू हुआ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

-- सात सूत्री मांगों को लेकर सड़क पर उतरे उपभोक्ता, विभागीय आश्वासनों पर जताया अविश्वास

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव में लगातार बिगड़ती बिजली व्यवस्था और उपभोक्ताओं की बढ़ती परेशानियों को लेकर अब हालात आंदोलन की स्थिति में पहुंच गए हैं। सामाजिक संस्था स्वयं शक्ति ने बिजली आपूर्ति में हो रही अनियमितताओं को लेकर गुरुवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। संगठन का आरोप है कि वर्षों से बिजली की समस्या जस की तस बनी हुई है, लेकिन विभाग केवल आश्वासन देकर मामले को टालता आ रहा है।

गुरुवार दोपहर 12 बजे संस्था के संयोजक धीरज मिश्रा, सर्वेश पांडेय, अविनाश त्रिपाठी और विजय सिन्हा सहित कई सदस्य वीर शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भूख हड़ताल पर बैठ गए। इससे पहले संस्था ने 8 से 10 सितंबर तक धरना दिया था, लेकिन कोई ठोस पहल नहीं होने पर उन्होंने आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया।

भूख हड़ताल पर बैठने वाले स्वयंशक्ति के सदस्यों ने अपनी सात सूत्री मांगों को भी गिनवाया है, जिनमें शहर में पर्याप्त संख्या में नए ट्रांसफार्मर लगाने, ग्रिड को पर्याप्त बिजली आपूर्ति देने, जगह-जगह लटक रहे जर्जर तारों को बदलने, बिजली विभाग में तकनीकी कर्मियों की बहाली करने, टोल-फ्री नंबर का प्रभावी संचालन करने, लो वोल्टेज की समस्या का स्थायी समाधान करने तथा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तारों को अंडरग्राउंड करना और पुराने खराब बॉक्स बदलना शामिल है।

संगठन का कहना है कि ये मांगें किसी निजी स्वार्थ से नहीं, बल्कि आम उपभोक्ताओं की सुरक्षा और सुविधा से जुड़ी हुई हैं। यदि विभाग ने इन्हें समय रहते लागू नहीं किया तो कभी भी बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

-- विभाग ने दिया भरोसा, आंदोलनकारियों ने ठुकराया

धरना शुरू होने के पहले ही दिन कार्यपालक अभियंता कुमार अभिषेक, एईई आरके दुबे और जेई मोहम्मद इम्तियाज हुसैन मौके पर पहुंचे और वार्ता की। अधिकारियों ने दिवाली तक सभी जर्जर तार और पुराने बॉक्स बदलने का आश्वासन दिया। हालांकि संगठन ने इसे केवल “कागजी भरोसा” करार देते हुए आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया।

दूसरे दिन फिर से कनीय विद्युत अभियंता मोहम्मद इम्तियाज हुसैन धरना स्थल पहुंचे और जल्द कार्य शुरू कराने की बात कही, लेकिन इस बार भी आंदोलनकारी नहीं माने। संगठन के संयोजक धीरज मिश्रा ने कहा कि अब जनता केवल वादों से संतुष्ट नहीं होगी। विभाग को ठोस कार्रवाई करनी ही होगी। वहीं, सदस्य सर्वेश पांडेय का कहना था कि सिर्फ तार और बॉक्स लाकर दिखाने से समस्या खत्म नहीं होगी। जब तक सभी मांगें पूरी तरह लागू नहीं हो जातीं, आंदोलन जारी रहेगा।

-- जनता का मिल रहा है समर्थन

गांव-गांव में खराब बिजली आपूर्ति को लेकर उपभोक्ताओं में पहले से ही गुस्सा है। कभी ट्रांसफार्मर जलने से अंधेरा छा जाता है, तो कभी लो वोल्टेज के कारण पंखे और बल्ब तक ठीक से नहीं जल पाते। बरसात और आपदा के समय जर्जर तारों से खतरा और बढ़ जाता है। यही वजह है कि आम लोग भी संस्था के इस आंदोलन के समर्थन में खड़े हो गए हैं।

जनता का कहना है कि बिजली की मूलभूत समस्याओं के समाधान के बिना विकास की बात करना बेमानी है। स्थानीय लोगों की यही उम्मीद है कि विभाग जल्द से जल्द समस्याओं का ठोस समाधान करे, वरना भूख हड़ताल का दायरा और बड़ा हो सकता है।