स्वरोजगार के लिए जेल में बंदियों को दी जा रही मशरूम की खेती की ट्रेनिंग

स्वरोजगार के लिए जेल में बंदियों को दी जा रही मशरूम की खेती की ट्रेनिंग

- जेल में दस दिन तक ट्रेनिंग देगी पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान 

- कारा अधीक्षक ने बंदियों को जीवन को बेहतर  बनाने का दिया संकल्प

केटी न्यूज/आरा

बंदियों का जीवन सुधारने और आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए मंडल कारा में उन्हें मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जा रही है। पीएनबी ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की ओर से बंदियों को मशरूम की खेती करने के टिप्स बताये जा रहे हैं। यह प्रशिक्षण शिविर दस दिनों तक चलेगा। इसका उद्घाटन कारा अधीक्षक संदीप कुमार की ओर से छह दिसंबर को दीप जलाकर किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बंदियों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देकर स्वरोजगार से जोड़ कर उनके लिए सुंदर विक्लप तैयार करना है। कारा अधीक्षक ने मौके पर बंदियों को जेल से जाने के बाद अपने जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लेने की सलाह दी। कहा कि जेल से जाने के बाद समाज और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए ऐसा काम करें कि आप व आपका परिवार सुंदर एवं भयमुक्त जीवन जी सकें। वहीं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक राणा रंजीत ने कहा कि उद्यमी प्रशिक्षण शिविर बंदियों के बेहतर जीवन और जीविका के लिए एक अच्छा विकल्प है। कहा कि आगे भी इस तरह के प्रशिक्षण शिविर चलते रहेंगे। इसे लेकर बंदियों में काफी उत्साह देखा गया। शिविर में कारा उपाधीक्षक रौशन कुमार कर्ण, शबनम प्रिया और प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारी देव कुमार उपस्थित थे।

संस्थान के निदेशक राणा रंजीत ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती पर जोर दिया जा रहा है। समय की मांग के अनुसार किसानों को खेती को लाभकारी बनाने के लिए विशेष प्रकार की ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करनी चाहिए। इन लाभकारी खेती की लिस्ट में मशरूम की खेती किसानों के लिए ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती है। मशरूम की खेती की खास बात ये हैं कि इसे छोटे से कमरे से शुरू किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी कि आपके पास लंबा चौड़ा खेत हो। कम लागत और कम स्थान पर इसकी खेती करके किसान भाई इससे काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इसकी खेती के लिए सरकार से अनुदान भी दिया जाता है। 

काफी महंगा बिकता है मशरूम का पाउडर 

मशरूम का उपयोग सब्जी के रूप में तो किया ही जाता है। इसमें काफी पोषक तत्व होने से इसे बॉडी बिल्डिंग में इस्तेमाल होने वाले पाउडर को बनाने में भी किया जाता है। मशरूम का पाउडर काफी महंगा बिकता है। इस तरह किसान इससे ताजा बेचकर और इसका पाउडर बेचकर भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। 45 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है। एक बार बिजाई करने पर तीन बार कटाई कर सकते हैं। बाजार में ये 70 से 80 रुपए किलो की दर से बिकता है। जबकि किसान की लागत महज 10 से 15 रुपए आती है। कोई भी बेरोजगार युवक एक कमरे में 1500 से दो हजार रुपए से मशरूम की खेती शुरू कर 7 से 8 हजार रुपए बचत कर सकता है।