महताब हत्याकांड: रास्ते के महज 3 फिट जमीन के लिए 30 वर्षों से दोनों परिवारों में चल रहा था शीतयुद्ध

महताब हत्याकांड: रास्ते के महज 3 फिट जमीन के लिए 30 वर्षों से दोनों परिवारों में चल रहा था शीतयुद्ध

- तीन चार बार पंचायती भी हुई, लेकिन नहीं निकला परिणाम

- शनिवार की रात धोखे से बुला जफ्फार व महताब पर किया गया था जानलेवा हमला

केटी न्यूज/डुमरांव

जमीन के चंद टुकड़ो के लिए आदमी कितना हैवान हो सकता है, यह शनिवार की शाम डुमरांव में हुए 19 वर्षीय महताब हत्याकांड में देखा जा सकता है। रास्ते की महज तीन फिट जमीन के लिए रिश्तों को दरकिनार कर उसके चचेरे चाचाओं ने मिलकर महताब की जहां हत्या कर दी वही उसके पित मो गफ्फार भी इस हमले में जीवन और मौत से

जूझ रहे है। फिलहाल उनका इलाज पटना के पीएमसीएच में चल रहा है। जबकि आंशिक रूप जख्मी गफ्फार की बहन लैला व मझला भाई अफताब इस घटना के बाद अपने जख्म को भूल पूरे परिवार को संभालने की कोशिश कर रहे है। गफ्फार के वृद्ध पिता मो कासिम को घटना के बाद से ही मानो काठ मार गया है। पूछने पर किसी तरह अपने आंसुओं के सैलाब पर काबू पाते हुए घटना की जानकारी दी और बताया कि घटना के दिन सबकुछ अचानक हो गया। जबकि उसके बाद से

एक तरफ आरोपियों का परिवार फरार हो गया है तो दूसरी तरफ पीड़ित परिवार के समक्ष अपनों को खोने के गम के साथ ही दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए है। जानकारी के अनुसार गफ््फार ठेला चला जबकि महताब मजदूरी कर अपने परिवार की गाड़ी खींच रहे थे। अब इस परिवार में आमदनी का एकमात्र सहारा अफताब बचा है, जो भवन निर्माण में मजदूरी करता है। 

घटना की कहानी कासिम की जुबानी

कासिम ने बताया कि उनके झोपड़ीनुमा घर से निकलने के लिए महज तीन फिट की गली है जो उनकी पैतृक जमीन है। इसी जमीन पर तीस वर्षों से विवाद चल रहा था। आरोपियो में कमालुद्दीन और इमामुद्दीन कासिम के चचेरे साले भी है। वे लोग दबंग तथा आर्थिक रूप से भी मजबूत है तथा उनके घर के निकास के लिए जो तीन फिट की गली है

उस पर अपना दावा कर रहे थे। इसी बात को ले पिछले तीन दशक से दोनों परिवारों के रिश्तें में खटास आ गई थी। हालांकि किसी पक्ष ने पहले इसकी शिकायत पुलिस या जनता दरबार में नहीं की थी। लेकिन आस पास के प्रबुद्धजनों के माध्यम से पंचायती का प्रयास कराया गया था। कासिम ने बताया कि पंचायती में भी वे लोग जमीन के संबंध में किसी तरह का कागज प्रस्तुत नहीं किए थे और न ही दावा छोड़ रहे थे। 

अचानक घर से बुला कर दिया हमला

कासिम ने बताया कि शनिवार की शाम 8.30 बजे उनका बेटा गफ्फार तथा वे खाना खाने जा रहे थे। घर में महताब व अफताब भी थे। इसी दौरान दूसरे पक्ष के इमामुद्दीन ने हमलोगों को बुलाया। बुलाने पर बेटा और बड़ा पोता उनके दलान में गए। इसी दौरान सभी ने मिलकर अचानक हमला कर दिया। इस दौरान इमामुद्दीन और कमालुद्दीन का बेटा जफर धारदार हथियार से पहले गफ्फार के बाये हाथ के नीचे तथ महताब के बायें कंधे के पास हमला कर दिए। जिससे दोनों खून से

लथपथ हो बेहोश हो गए। वही उन्हें बचाने गई बेटी लैला तथा अफताब पर भी हमला किया गया। लैला की मानें तो अन्य आरोपी इनलोगों को पकड़ लिए थे। जिस कारण चंगुल से छूट नहीं सके। शोरगुल सुन जब पड़ोसी दौड़े आए तो अन्य लोगों की जान बची। बता दें कि इस मामले में लैला के बयान पर ही एफआईआर दर्ज कराया गया है।

सुबह से ही कर रहे थे तैयारी

लैला व अफताब ने बताया कि शनिवार को कमालुद्दीन के तीनों लड़के तथा इमामुद्दीन सुबह से ही अपने रिश्तेदारों को बुला लिए थे। घटना के कुछ घंटे पहले इमामुद्दीन व जफर के हाथ में धारदार हथियार भी देखा गया था। बता दें कि लैला ने मो कमालुद्दीन के साथ ही उसके तीन बेटोमो जफर, सोनू अंसारी व मो आजाद के अलावे इमामुद्दीन व मनोज तुरहा को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने कमालुद्दीन को घटना के दि नही गिरफ्तार कर लिया था। जबकि अन्य आरोपी फरार है।