शिक्षक डॉ. मनीष के जन्मदिवस पर लिया हरियाली का संकल्प

पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से डुमरांव के छठिया पोखरा स्थित बड़का अंगना परिसर के शिव मंदिर में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 25 प्रतीकात्मक पौधे लगाए गए। कार्यक्रम शिक्षक व पर्यावरण प्रेमी डॉ. मनीष कुमार शशि के जन्मदिवस पर आयोजित किया गया, जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शैक्षिक पुरस्कारों से सम्मानित हैं।

शिक्षक डॉ. मनीष के जन्मदिवस पर लिया हरियाली का संकल्प

- डुमरांव में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण कार्यक्रम

पौधे लगाना व उनका संरक्षण करना एक सामाजिक जिम्मेदारी होनी चाहिए: उमेश

केटी न्यूज/डुमरांव

पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और जन-जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से डुमरांव के छठिया पोखरा स्थित बड़का अंगना परिसर के शिव मंदिर में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 25 प्रतीकात्मक पौधे लगाए गए। कार्यक्रम शिक्षक व पर्यावरण प्रेमी डॉ. मनीष कुमार शशि के जन्मदिवस पर आयोजित किया गया, जो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शैक्षिक पुरस्कारों से सम्मानित हैं।

कार्यक्रम में 'तरु मित्र' उमेश गुप्ता रौनियार ने नेतृत्व करते हुए कहा कि जीवन के हर खास मौके पर पौधा लगाना और उसका संरक्षण करना एक सामाजिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। उन्होंने इसे एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों की सहभागिता देखने को मिली। वार्ड पार्षद विजय सिंह ने कहा कि पौधारोपण को प्रत्येक वार्ड स्तर पर अभियान बनाना चाहिए। भारत सोनार, कमलेश कुमार, मनोज कुमार सिंह, चुनचुन गुप्ता और बड़क प्रसाद ने भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर विचार रखे।

भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव शत्रुघ्न प्रसाद गुप्ता (मोहन जी) ने पर्यावरण और स्वास्थ्य के परस्पर संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि अगली पीढ़ी को स्वच्छ व हरित वातावरण देना हमारा कर्तव्य है। प्रो. डॉ. संजय कुमार सिंह (सुमित्रा महिला महाविद्यालय) ने कहा कि प्रकृति का सम्मान करना ही सच्चा मानव धर्म है।

वहीं, मनोज कुमार मिश्रा (संस्थापक, विकास फैमिली क्लब) ने ग्रामीण इलाकों में ऐसे आयोजनों के विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. मनीष कुमार शशि ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण को जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। यह कार्यक्रम डुमरांव में पर्यावरण चेतना का मजबूत संदेश देने वाला साबित हुआ।