हर हाल में होगा थर्मल पॉवर में रेल व वाटर कॉरिडोर का निर्माण, किसान दे साथ: सीईओ मनोज
चार महीने से अधिक समय से चला आ रहा है गतिरोध
केटी न्यूज/चौसा
चौसा थर्मल पॉवर प्लांट तथा उसके अंदर रेल तथा वाटर कॉरिडोर का निर्माण हर हाल में पूरा होगा। काम बाधित होने से राज्य व केन्द्र सरकार दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस प्रोजेक्ट से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। उक्त बातें शनिवार को चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावॉट पॉवर प्लांट के सीईओ मनोज कुमार ने कही है। वे पिछले चार महीने से अधिक समय से किसानों के साथ चले आ रहे गतिरोध के मुद्दे पर प्रेस वार्ता आयोजित किए थे।
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ जिन मुद्दों पर गतिरोध था वह लगभग सुलझा लिया गया है। अब महज कुछ बातें रह गई है। उन्होंने स्थानीय किसानों से सन्मार्ग के राह पर चलने तथा कंपनी तथा इसके अंदर निर्माणाधीन पेयजल आपूर्ति व रेलवे लाइन बिछाने के काम में सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। कंपनी का काम बाधित होने से केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों की जितनी मांगें थी उसमें अधिकांश का समाधान कर दिया गया है। प्रोजेक्ट फुल फ्लेज में शुरू होने के बाद इसका सबसे ज्यादा लाभ स्थानीय लोगों को ही मिलेगा।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को मिल रहा है रोजगार
कंपनी सीईओ ने कहा कि इस पॉवर प्लांट प्रोजेक्ट से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है। कंपनी में बड़ी संख्या में कामगर मजदूरी कर रहे है। जिससे उनके परिवार का जीवन यापन हो रहा है। इसके अलावे आस पास में छोटे-मोटे व्यवसायियों द्वारा दुकानें खोली गई है। इन दुकानों का संचालन भी कंपनी के मजदूरों के भरोसे ही होता है। दुकानों पर भी सैकड़ो लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावे कई लोग कंपनी को विभिन्न तरह के दैनिक उपयोग के सामानों की आपूर्ति कर आजीविका चला रहे है। किसानों द्वारा विरोध करने तथा काम ठप कराने से सभी को नुकसान हो रहा है। उन्होंने किसानों को सहयोगात्मक रवैया अपाने को कहा और बताया कि किसी की हकमारी नहीं की जाएगी।
किसानों का आरोप- जमीन का नहीं मिला उचित मुआवजा
बता दें कि कंपनी द्वारा जलापूर्ति के लिए पाइप तथा रेलवे लाइन बिछाने के लिए स्थानीय किसानों के जमीन का अधिग्रहण किया गया है। किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिला है। जबकि कंपनी द्वारा जमीन अधिग्रहण के साथ ही इसका मुआबजा राज्य सरकार को दिया गया था। कई किसान मुआवजे की राशि को कम बता लेने से इंकार कर दिए है। इस मसले पर किसान पिछले चार महीने से अधिक समय से आंदोलन पर डटे है।
पुलिस के साथ भी हो चुका है आंदोलनकारियों का टकरांव
बता दें कि पिछले दिनों उग्र आंदोलन कर रहे किसानों के घर रात में घुस स्थानीय पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों तथा उनके परिजनों की पिटाई की थी। इसके अगले दिन ही किसानों ने हिंसक रूख अख्तियार कर कंपनी पर हमला बोल दिया था। इस दौरान पुलिसकर्मियों पर ईंट पत्थर से हमला के साथ ही कंपनी की संपति, वाहनों, पुलिस वाहन आदि को आग लगा नष्ट कर दिया गया था। पूरे दिन चले इस उपद्रव के बाद कई दिनों तक चौसा में जमकर सियासत भी हुई।