चौथे दिन उद्दालक ऋिषि के आश्रम पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था

चौथे दिन उद्दालक ऋिषि के आश्रम पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था

केटी न्यूज/बक्सर

गुरूवार को पंचकोसी यात्रा संपन्न हो जाएगी। अंतिम दिन बक्सर के चरित्र वन में श्रद्धालुओं द्वारा परंपरागत तरीके से लिट्टी चोखा खा इस परिक्रमा को पूरा किया जाएगा। पंचकोशी के अंतिम दिन हजारों की संख्या में शामिल होते है। मान्यता है कि सिर्फ पांचवे दिन भी इस यात्रा में शामिल होने से पंचकोशी का लाभ मिलता है। पूर्व संध्या से ही बक्सर में लोग पंचकोसी में शामिल होने के लिए जुड़ने लगे थे। जबकि लिट्टी चोखा बनाने वाले सामग्रियों की कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि देखी गई। सबसे अधिक महंगा बैगन व टमाटर बिका। बक्सर में हजारों की संख्या में दूर दूर से श्रद्धालु पंकोशी मनाने आए है। सुबह से ही चरित्र वन के साथ शहर के अलग अलग हिस्सों में गोईठे पर लिट्टी चोखा बनाने की परंपरा शुरू होगी जो देर रात तक चलेगा। मान्यता है कि पंचकोशी परिक्रमा के अंतिम दिन भगवान श्रीराम अपने गुरू विश्वामित्र और भाई लक्ष्मण के साथ चरित्रवन में ही रूके थे तथा उन्हें लिट्टी चोखा खिलाया गया था। इस दिन जिले के सभी घरों में लिट्टी चोखा बनाया जाता है। 

जिले की इस चर्चित परंपरा में शामिल होने के लिए बिहार के कई जिलों के साथ ही पड़ोसी यूपी के बलिया, गाजीपुर, मउ, बनारस आदि जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बक्सर में लिट्टी चोखा खाने आते है। कई लोग तो एक दिन पहले से ही अपने रिश्तेदारों के घर त्रेता युग से चली आ रही इस परंपरा में शामिल होने के लिए पहुंच जाते है। वही जिले के दूसरे प्रखंडो के वैसे लोग जो बक्सर नहीं आ पाते है वे भी अपने घरों में इस दिन लिट्टी चोखा बनाकर खाते है। 

नुआंव स्थित उद्दालक ऋषि के आश्रम पहुंचा श्रद्धालुओं का जत्था :

इसके पहले चौथे दिन पंचकोशी यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था नुआंव स्थित उद्दालक ऋषि के आश्रम में पहुंचा। जहा परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना के बाद खिचड़ी का प्रसाद खाया गया। श्रद्धालु पूरी रात विश्राम के बाद यही से गुरूवार को सुबह बक्सर के लिए रवाना होंगे। वही सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने भी बक्सर में सार्वजनिक लिट्टी चोखें के भोज का आयोजन किया है। जिसमें सामाजिक सरोकार से जुड़े सैकड़ो लोगों को आमंत्रित किया गया है। पंचकोशी के पड़ाव पूरा होने के पूर्व संध्या पर जिले भर में इस परंपरा के प्रति लोगों में उत्साह देखा गया।