समाज में उत्पन्न संवादहीनता व असंवेदनशीलता की कमी को दुर करना ही ग्रामीण इतिहास कार्यक्रम का उद्देश्यः डा. शशांक

समाज में उत्पन्न संवादहीनता व असंवेदनशीलता की कमी को दुर करना ही ग्रामीण इतिहास कार्यक्रम का उद्देश्यः डा. शशांक
पुस्तक विमोचन करते अतिथि व अन्य

- अहिरौली में आयोजित किया गया आठवां ग्रामीण लेखक इतिहासकार परिसंवाद कार्यक्रम 

केटी न्यूज/ बक्सर

जिले के अहरौली गांव में आठवां बक्सर ग्रामीण लेखक इतिहासकार परिसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ  बाल कल्याण समिति सदस्य डॉ. शशांक शेखर के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ग्रामीण इतिहास आयोजन के पीछे समाज में उत्पन्न संवादहीनता और असंवेदनशीलता की कमी को दूर करते हुए बिखरे इतिहास को जोड़ना है। कार्यक्रम का संचालन एमवी कालेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डा.छाया चौबे ने किया। वहीं क्रिएटिव हिस्ट्री ट्रस्ट के संयोजक प्रो. देवेंद्र चौबे ने जेएनयू बीज वक्तव्य में अपने ग्रामीण इतिहास परिसंवाद कार्यक्रम की परिकल्पना को प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज हम ग्रामीण इतिहास के माध्यम से केवल गांव ही नहीं बल्कि समाज ,देश और राष्ट्र का इतिहास का लिख रहे हैं । आज ग्रामीण लोकश्रुत को  एक बड़े फ़लक पर लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाए। अगली कड़ी में  कथाकार सुरेश कांटक ने कहा कि इतिहास अब तक सत्ता के नजरिए से प्रस्तुत किया गया जो अब जनता के नजरिए से देखा व लिखा जाएगा। श्री मधुसूदन आचार्य ने इतिहास और पुराण के अंतर को सपष्ट किया वहीं लक्ष्मीकांत मुकुल ने नटवार एवं धनगाई गांव की सांस्कृतिक परपरा को लोककथा के माध्यम से प्रस्तुत किया। फ़ौजदार मांझी द्वारा बक्सर के सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया गया। कृष्णानंद चौबे जी द्वारा मानस के भीतर उपजी मानसिकता को मिथकीय चेतना द्वारा उध्दृत किया गया। कृष्णानंद उपाध्याय  द्वारा बक्सर के प्राचीन ज्ञान परंपरा पर विचार प्रस्तुत किया गया।

खंड पदाधिकारी मिथिलेश बिहारी वर्मा द्वारा काव्यपाठ किया गया। यज्ञनाथ पांडेय ने इतिहास के उन अनछुए पहलू की ओर ध्यान इंगित किया जो लोक की महत्वपूर्ण धरोहर है। कार्यक्रम के दौरान इतिहास समाचार का लोकार्पण एवं मोनाको देवी स्मृति छात्रवृत्ति एवं तारा देवी स्मृति छात्रवृत्ति 2022 छात्र गौरी देवी व सार्थक को प्रदान किया गया। विद्याशंकर चौबे, फ़ौजदार माझी ,बहादुर माझी और श्यामजी चौबे को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया । अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. छाया चौबे ने किया। अमरेंद्र चौबे , बृजभूषण चौबे ,आनन्द कुमार , कृष्णानंद चौबे , बृजभूषण इत्यादि अन्य ग्रामीण गणमान्य उपस्थित रहे।