नया भोजपुर में शव दफनाने को लेकर भिंड़े दो पक्ष,एसडीपीओ ने समझा बुझा कराया शांत
- एक पक्ष ने रैयती जमीन बता शव दफनाने का किया था विरोध,
-दूसरा पक्ष गलत तरीके से जमीन लिखवाने का लगा रहा था आरोप
केटी न्यूज/डुमरांव
रविवार को नया भोजपुर डुमरी पथ के किनारे स्थित नौआबारी कब्रिस्तान के पास स्थित एक भूखंड पर शव दफनाने को लेकर दो पक्ष आमने सामने आ गए थे। इस दौरान घंटो तनाव भरा माहौल बना रहा। लेकिन इसकी जानकारी मिलते ही तत्काल स्थानीय पुलिस के साथ ही एसडीपीओ अफाक अख्तर अंसारी, बीडीओ संतोष कुमार सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंच स्थिति को नियंत्रित की।
अधिकारियों तथा पुलिस टीम के पहुंचने के बाद भी दोनों पक्ष अपनी अपनी दलीलों पर कायम थे। बाद में एसडीपीओ के पहल के बाद मामला शांत हुआ। तब जाकर शव को मिट्टी दिया गया। हालांकि इस मामले को ले दोनों पक्षों के बीच तनाव कायम है लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार रविवार को नया भोजपुर के 80 वर्षीय सख्त अली शेख की मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके समुदाय के लोग परंपरा के अनुसार उनके समुदाय के लोग शव को दफनाने के लिए नया भोजपुर डुमरी पथ के किनारे स्थित कब्रिस्तान में ले गए।
लेकिन जिस भूखंड पर शव दफनाया जा रहा था उस पर गांव के प्रदीप वर्मा, साधु गुप्ता तथा रामचंद्र पासी रैयती जमीन होने का दावा कर शव दफनाने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि वर्ष 1983 में प्रदीप के पिता स्व शिवजी सोनार, साधु गुप्ता के पिता स्व हीरा गुप्ता तथा रामचंद्र पासी ने मिलकर शेख परिवार से 11 कट्ठा जमीन खरीदा था। इस जमीन को खरीदने के पहले तीनों ने तत्कालीन चकबंदी अधिकारी से स्वीकृति भी ली थी।
लेकिन 40 साल बाद दूसरा पक्ष इस जमीन पर शव दफनाने चला आया। जिसका विरोध किया गया। वही दूसरे पक्ष के कयूम अंसारी आदि ने बताया कि उक्त जमीन कब्रिस्तान का हिस्सा है तथा उसे गलत तरीके से रजिस्ट्री करवाया गया हैं।
ऐसे बनी सहमति
जानकारी के अनुसार एसडीपीओ के पहल के बाद जिस जगह शव को दफनाया जा रहा था उससे ढाई से तीन फिट दूर दफनाने पर दोनों पक्ष सहमत हुए। एसडीपीओ के सामने दोनों पक्षों ने भविष्य में दुबारा इस मुद्दे पर विवाद नहीं करने पर भी सहमति जताई। वही प्रशासन ने विवादित हिस्से पर भविष्य में न तो शव दफनाने और न ही किसी तरह का निर्माण करने का निर्देश दिया। जिसे दोनों पक्षों ने मान लिया। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर जल्दी ही शांति समिति की बैठक भी आयोजित होगी।
पूर्व में भी हो चुका है विरोध
ऐसा नहीं कि कब्रिस्तान को लेकर पहली बार विवाद हुआ है। जानकारी के अनुसार करीब एक दशक पहले तत्कालीन विधायक दाउद अली के निधि से इसकी घेराबंदी करवाई जा रही थी। तब दूसरे पक्ष ने इसी रैयती जमीन बता घेराबंदी रूकवा दिया था। प्रशासन भी उनके कागजात को देखने के बाद घेराबंदी नहीं करने का निर्देश दी थी।
सड़क किनारे होने के कारण जमीन पर गड़ी है नजर
बता दें कि यह जमीन नया भोजपुर डुमरी पथ के किनारे स्थित है। जिस कारण इसकी कीमत काफी अधिक है। सूत्रों का कहना है कि यही कारण है कि दोनों पक्ष इस जमीन को छोड़ना नहीं चाहते है। वैसे रैयती होने के कारण पहले पक्ष का दावा मजबूत है। लेकिन दूसरा पक्ष उनके रजिस्ट्री को अवैध बता रहा है।
क्या कहते है एसडीपीओ
शव दफनाने को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था। इसकी जानकारी मिलते ही वहां जाकर दोनों पक्षों को समझा बुझाकर मामला शांत कराया गया तथा दोनों पक्षों की सहमति से शव दफनाया गया। दोनों पक्षों को विवादित जमीन पर न तो शव दफनाने और न ही किसी तरह का निर्माण करने का निर्देश दिया गया है। - अफाक अख्तर अंसारी, एसडीपीओ, डुमरांव