अनोखी परंपरा, मणियां में 11 छात्राओं का वैदिक विधान से कराया गया यज्ञोपतिव संस्कार

अनोखी परंपरा, मणियां में 11 छात्राओं का वैदिक विधान से कराया गया यज्ञोपतिव संस्कार

- वर्षों से चली आ रही है परंपरा, हर साल वसंत पंचमी पर कन्याओं का होता है यज्ञोपवित

केटी न्यूज/डुमरांव

अनुमंडल के नावानगर प्रखंड के मणियां गांव स्थित दयानंद आर्य हाई स्कूल में वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत वसंत पंचमी के मौके पर बुधवार को 11 कन्याओं का यज्ञोपवित संस्कार कराया गया। पूरे दिन चले इस समारोह में वैदिक विधान के साथ कन्याओं को यज्ञोपवित धारण कराया गया। यह अनोखी परंपरा इस गांव में दशकों से चली आ रही है। बता दें कि हमारे समाज में सिर्फ पुरूषों को ही जनेउ पहनने की मान्यता है।

लेकिन मणियां गांव में इस मान्यता के उलट हर साल कन्याओं का भी यज्ञोपवित कराया जाता है। यहां जनेऊ धारण करने वाली छात्राएं रुढ़िवादी परंपरा को खत्म करने तथा चरित्र निर्माण की शपथ लेती है। इस मुहिम में लड़कियों को परिवार और समाज से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। जनेऊ सस्कार के दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण से विद्यालय परिसर व आसपास का इलाका वैदिक मंत्रोच्चारण से गुंजायमान हुआ।

इन कन्याओं का कराया गया यज्ञोपवित संस्कार

बुधवार को आचार्य हरिनारायण आर्य और सिद्धेश्वर शर्मा के नेतृत्व में पूरे विधान के साथ िंचंता कुमारी, अंजली कुमारी, खुशबू कुमारी, सीता कुमारी, रुनझुन कुमारी, रिमझिम कुमारी, अंजली कुमारी (2) और छात्र अमित कुमार सहित अन्य कई छात्राओं को सामूहिक रूप से यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। इस मौके पर उपस्थित आचार्यों, प्रबुद्धजनों और छात्राओं ने आगे भी यह प्रक्रिया अनवरत जारी रखने का संकल्प लिया। इस मौके पर ललन सिंह, हृदयानंद सिंह, अयोध्या सिंह, प्रधानजी और विमल सिंह सहित कई लोग उपस्थित रहे।

1972 में शुरू हुई थी परंपरा

बता दें कि इस अनोखी परंपरा की शुरूआत सन 1972 में छपरा गांव निवासी व मणियां उच्च विद्यालय के संस्थापक आर्य समाजी विश्वनाथ सिंह ने ने करवाई थी। उन्होंने सर्वप्रथम वसंत पंचमी पर अपनी दो पुत्रियों को ही वैदिक संस्कार के तहत जनेऊ धारण कराया था। तब से हर साल वसंत पंचमी पर यह परंपरा चली आ रही है।

ग्रामीण दीनानाथ सिंह, वकील सिंह, कुमारी मीरा, जितेंद्र सिंह और कमलेश सिंह का कहना है, कि छात्राओं को यज्ञोपवीत संस्कार के पीछे मुख्य उद्देश्य नारी शक्ति को श्रेष्ठ बनाने तथा समाज का कल्याण है। ग्रामीणों का कहना है कि यज्ञोपवित धारण करने वाली कन्याएं समाज के लिए आदर्श मानी जाती है।