डुमरांव : ईश्वर ने हमे जो दिया है उसी में करना चाहिए संतोष: सुदीक्षा कृष्णा जी
डुमरांव के शक्ति द्वार के समीप बड़ी संगत उदासीन मठिया में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचिका सुदीक्षा कृष्णा जी ने अपने प्रवचन में कहा कि प्रवचन में सुनने वाले बातों को हमे स्वयं के जीवन मे उतारना चाहिए। इसका पालन करें नहीं तो प्रवचन सुनने और ज्ञान प्राप्त करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।

- संगत उदासीन मठिया में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का हो रहा आयोजन
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव के शक्ति द्वार के समीप बड़ी संगत उदासीन मठिया में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचिका सुदीक्षा कृष्णा जी ने अपने प्रवचन में कहा कि प्रवचन में सुनने वाले बातों को हमे स्वयं के जीवन मे उतारना चाहिए। इसका पालन करें नहीं तो प्रवचन सुनने और ज्ञान प्राप्त करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
जीवन जीना अलग बात है। लेकिन मर्यादित रूप में संयमित जीवन जीना एक अलग बात है। जिस प्रकार पुत्र का कर्तव्य माता पिता की सेवा करना है। उसी प्रकार माता-पिता का भी कर्तव्य है पुत्र को संस्कारी बनाना। शिक्षा देना अलग बात है। लेकिन संस्कारी बनाना एक अलग बात है।
अगर कोई चाहे कि हम गलत तरीके से धन कमा कर जीवन में शांति प्राप्त करें तो यह कभी संभव नहीं है। इसलिए जीवन में उचित तरीके से धन संपत्ति का अर्जन करना चाहिए। कर्म का फल मिलना निश्चित है। इसलिए कर्म करते समय ध्यान देना चाहिए कि किसी के साथ कोई गलत कार्य न हो। अगर हम मंदिर में पूजा कर रहे हैं और ध्यान कहीं और है तो फिर मंदिर में पूजा करने का कोई औचित्य नहीं है।
जीवन में स्वच्छता को आत्मसात करना। ईश्वर द्वारा जो मिला हुआ है उसमें व्यक्ति को संतोष करना चाहिए। जहां श्रीमद्भागवत कथा का पाठ होता हो उस क्षेत्र में लक्ष्मी का वास होता है। मौके पर समिति के अध्यक्ष विकास ठाकुर, बब्लू जायसवाल, अरविंद श्रीवास्तव, विनोद केशरी, कन्हैया तिवारी, सचिन कुमार, मुन्ना जी, बिहारी यादव, मनीष मिश्रा, राजेश यादव, मनीष यादव, अमित मिश्रा, देवेंद्र सिंह, सोनू ठाकुर, सुड्डू प्रसाद, मो. एकराम, रामजी प्रसाद, सुनील मिश्रा सहित अन्य मौजूद रहे।