प्रेम से ऊपर फर्ज: बक्सर में विवाह के दूसरे ही दिन देश की रक्षा में निकल पड़ा ’त्यागी’

यह कहानी सिर्फ एक जवान की नहीं, बल्कि उस अदृश्य धागे की है जो देशभक्ति, कर्तव्य और परिवार के बीच जुड़ा होता है। बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल मुख्यालय से सटे नंदन गांव के 25 वर्षीय त्यागी यादव ने वह कर दिखाया, जिसे सुनकर हर भारतीय गर्व से भर उठे। भारतीय थल सेना का यह वीर जवान हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कारगिल में तैनात हुआ है

प्रेम से ऊपर फर्ज: बक्सर में विवाह के दूसरे ही दिन देश की रक्षा में निकल पड़ा ’त्यागी’

-- घर में नई नवेली दुल्हन को छोड़ देश सेवा में लगा एक सच्चा सपूत

रजनीकांत दूबे/डुमरांव 

यह कहानी सिर्फ एक जवान की नहीं, बल्कि उस अदृश्य धागे की है जो देशभक्ति, कर्तव्य और परिवार के बीच जुड़ा होता है। बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल मुख्यालय से सटे नंदन गांव के 25 वर्षीय त्यागी यादव ने वह कर दिखाया, जिसे सुनकर हर भारतीय गर्व से भर उठे। भारतीय थल सेना का यह वीर जवान हाल ही में जम्मू-कश्मीर के कारगिल में तैनात हुआ है। दो दिन पहले, 7 मई को उसका विवाह केसठ के रामायण यादव की पुत्री प्रिया कुमारी के साथ हुई। शादी की खुशियां अभी थमी भी नहीं थीं कि 8 मई को बारात लौटने के बाद एक संदेश आया ’सीमा पर तनाव बढ़ गया है, सभी जवानों की छुट्टियां तत्काल रद्द’। यह संदेश मिलते ही त्यागी ने बिना कोई विलंब किए अपना बैग पैक किया, पत्नी और परिवार से विदा ली और चल पड़ा अपने फर्ज की राह पर सरहद की ओर। गांव के लोग उसकी इस भावना से अभिभूत हैं। हर कोई कह रहा है कि त्यागी जैसे सपूत ही हैं जो देश को सुरक्षित रखते हैं।

- देश पहले, सब कुछ बाद में पत्नी और मां का गर्व 

 त्यागी की नवविवाहिता पत्नी प्रिया कुमारी ने आंसुओं के साथ मुस्कान में छिपा गर्व बयां करते हुए कहा, मुझे अपने पति पर गर्व है कि उन्होंने इस घड़ी में देश को प्राथमिकता दी। हम सभी के लिए यह कठिन समय है, लेकिन मैं जानती हूं कि वह जहां हैं, वहीं उनका होना जरूरी है। त्यागी की मां धनमानों देवी भी भावुक होकर कहती हैं, हमारे लिए सबसे बड़ा धर्म देश की सेवा है। मेरा बेटा कर्तव्य के लिए जो कर रहा है, उस पर हमें नाज़ है। वह अकेला नहीं, हमारा पूरा परिवार सेना से जुड़ा है। दरअसल, त्यागी का परिवार देशभक्ति की मिसाल है। उसके चचेरे भाई ओमप्रकाश यादव और मामा मंडल यादव भी सेना में हैं और मौजूदा हालात को देखते हुए वे भी बॉर्डर पर तैनात होने निकल चुके हैं।

--जवान त्यागी का संकल्प... देश सेवा सर्वाेपरि 

जवान त्यागी ने रवाना होते समय कहा, मेरे लिए देश सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। शादी का सपना पूरा हुआ, लेकिन अब मेरा कर्तव्य मुझे बुला रहा है। देश की सरहद पर तैनात रहना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। गांव के लोगों का कहना है कि त्यागी की यह भावना आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। जहां आज का युवा आराम और सुविधाओं को तरजीह देता है, वहीं त्यागी जैसे सपूत देश के लिए अपने निजी सुख को भी त्यागने को तैयार हैं। यह कहानी सिर्फ एक जवान की नहीं, बल्कि उस अदृश्य धागे की है जो देशभक्ति, कर्तव्य और परिवार के बीच जुड़ा होता है।