हाथीपांव यानी फाइलेरिया भी विकलांगता के सबसे प्रमुख कारणों में से एक

हाथीपांव यानी फाइलेरिया भी विकलांगता के सबसे प्रमुख कारणों में से एक

- विश्व विकलांगता दिवस विशेष : फाइलेरिया व्यक्ति को शारीरिक व सामाजिक रूप से बनाता है विकलांग

- विश्व की 15 प्रतिशत आबादी विकलांगता के किसी न किसी प्रकार से ग्रसित- विश्व स्वास्थ्य संगठन 

- “ट्रांस्फोर्मेटिव सलूशनस फॉर इन्क्लूसिव डेवलपमेंट : द रोल ऑफ़ इनोवेशन इन फुएलिंग एन एक्सेसएबल एंड एक़ुइटएबल वर्ल्ड” है इस वर्ष की थीम

केटी नयूज/बक्सर ।  विकलांगता किसी भी व्यक्ति के लिए अभिशाप साबित हो सकती है। इसके बारे में जनमानस को जागरूक करने हेतु हर वर्ष तीन दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है। कुछ नवजातों में जन्म के समय से ही विकृतियां होती हैं। ये विकृतियां या जन्मजात रोग कभी-कभी उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकती हैं। लेकिन सही समय पर इन विकृतियों को पहचान कर इलाज करवाने से नवजात को उन विकृतियों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अलावा कई रोग जैसे फाइलेरिया व्यक्ति को शारीरिक एवं सामाजिक रूप से विकलांग बना देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया की कुल आबादी का करीब 15 प्रतिशत विकलांगता के किसी न किसी स्वरूप से ग्रसित है। 

फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति शारीरिक एवं सामाजिक तौर पर होता है विकलांग:

जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया व्यक्ति को शारीरिक एवं सामाजिक रूप से विकलांग बना देता है। जागरूकता का अभाव एवं स्वच्छता को नजरंदाज करना इसके प्रमुख कारण हैं। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा समय समय पर एमडीए कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। जिसमें लोगों को घर घर जाकर फाइलेरिया की दवा खिलाई जाती है। कोई भी व्यक्ति अगर साल में एक बार लगतार पांच साल तक दवा का सेवन करता तो वह ताउम्र इस रोग से सुरक्षित रहता है। फाइलेरिया एक संक्रामक रोग है जो मच्छर के काटने से होता और ज्यादातर इसे हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। यह स्थिति शारीरिक एवं मानसिक रूप से कष्टदायक होती और ग्रसित व्यक्ति सामाजिक तिरस्कार का भागी हो सकता है।   

विकृतियों को पहचानने से इलाज होगा आसान: 

चिकित्सकों के अनुसार जन्मजात विकृतियों में कई जटिलताएं शामिल होती हैं। जिसमें शिशुओं के फटे होंठ या तालु, पैरों का मुड़ा होना (क्लब फूट), डाउन सिंड्रोम (बौनापन, असामान्य आकार के शारीरिक अंग, चपटी नाक या चेहरा, मानसिक वृद्धि में रुकावट) मल त्याग करने के रास्ते का नहीं बनना, श्वास नली में अधिक समस्या, जन्मजात अंधापन या बहरापन, सर का आकार सामान्य से अधिक हो जाना, हृदय में छिद्र या हृदय संबंधित गंभीर समस्या का होना एवं स्पाइनल कॉर्ड विकृति जैसे अन्य रोग भी शामिल हैं। इनमें से कुछ विकारों को आसानी से देखा जा सकता है किन्तु अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं को समझने के लिए नवजात पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। इनका ससमय चिकित्सीय प्रबंधन नवजात को विकलांगता के अभिशाप से बचा सकता है।