ग्रामीण इलाकों में लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने में निक्षय दिवस की भूमिका अहम - डॉ. शालिग्राम

ग्रामीण इलाकों में लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने में निक्षय दिवस की भूमिका अहम - डॉ. शालिग्राम

- जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर मनाया गया निक्षय दिवस

- लोगों को टीबी के इलाज और बचाव की दी गई जानकारी, किया गया जागरूक

केटी न्यूूज/बक्सर

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत हर माह की भांति 16 मार्च को जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर निक्षय दिवस का आयोजन किया गया। इस क्रम में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी के लक्षण वाले जिले भर के सैकड़ों लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। साथ ही, लोगों को टीबी के लक्षण, उससे बचाव व इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई।

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया कि निक्षय दिवस के माध्यम से सरकार ने टीबी के मामलों की पहचान को गति देने और लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू किया है। निक्षय दिवस के माध्यम से लोगों को टीबी के प्रति न केवल जागरूक किया जा रहा है, बल्कि संदिग्ध मामलों को चिह्नित करते हुए उनकी जांच भी कराई जा रही है।

पंचायतों में स्थित स्वास्थ्य संस्थानों में इस प्रकार के अभियान और सुविधाओं की बदौलत लोगों को काफी सहूलियत हुई है। अब जांच के लिए उन्हें मुख्यालय आने की आवश्यकता नहीं होती। एचडब्ल्यूसी पर वो अपने बलगम का सैंपल दे देते हैं। जिसकी जांच रिपोर्ट उनको पहुंचा दी जाती है।

लोगों को दी गई टीबी के लक्षण की पहचान की जानकारी 

सदर प्रखंड अंतर्गत कुलहड़िया स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ मनीषा कुमारी ने बताया कि निक्षय दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने लोगों को बताया कि किसी भी व्यक्ति को दो हफ्ते से अधिक खांसी का होना, लगातार बुखार होना, रात में पसीना आना और वजन बढ़ना-घटना आदि टीबी बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लोगों को सरकार के द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

जिनमें जांच के साथ-साथ टीबी की दवाई उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा टीबी के मरीजों को 6 महीने तक 500 रुपए प्रतिमाह आर्थिक मदद भी दी जा रही है, ताकि मरीज उचित खुराक ले सके। उन्होंने बताया कि टीबी के फैलने का मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों को सचेत न होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से न लेना है। टीबी किसी को भी हो सकता है, लेकिन नियमित दवा के सेवन से यह ठीक भी हो जाता है। उन्होंने लोगों से टीबी मरीजों से किसी भी प्रकार का भेदभाव न करने की भी अपील की।

एचडब्ल्यूसी पर भी दे सकते हैं बलगम 

जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया, टीबी के लक्षण दिखाई देने पर लोग अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपनी जांच कराएं। इसके लिए जिले में स्थित डुमरांव अनुमंडल अस्पताल, ब्रह्मपुर व सिमरी सीएचसी के साथ सदर अस्पताल, बक्सर में ट्रू-नॉट जांच की सुविधा उपलब्ध है।

वहीं, जिला यक्ष्मा केंद्र पर सीबी-नॉट से मरीजों में टीबी की जांच की जाती है। साथ ही, केसठ, चक्की और चौसा के सरैया एपीएचसी में टीबी के लक्षणों वाले मरीजों के लिए बलगम माइक्रोस्कोपिक जांच की सुविधा है। शेष प्रखंडों में टीबी यूनिट को संचालित करने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।

वहीं, मरीजों की परेशानी को देखते हुए पंचायत स्तर पर टीबी के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित करते हुए सभी हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स पर स्पूटम लिया जा रहा है। ताकि लोगों को टीबी जांच के लिए प्रखंडों या जिला मुख्यालय का चक्कर न लगाना पड़े।