कलश यात्रा के साथ पुराना भोजपुर में शुरू हुआ नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ

कलश यात्रा के साथ पुराना भोजपुर में शुरू हुआ नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ

- शोभा यात्रा में पीतांबर पहने 108 कलशधारी हुए शामिल

केटी न्यूज/डुमरांव

शनिवार को गायत्री परिवार द्वारा पुराना भोजपुर में आयोजित किए जा रहे नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत कलश यात्रा के साथ की गई। कलश यात्रा में भव्य जुलूस निकाल पूरे गांव का भ्रमण किया गया। शोभायात्रा में पीतांबर पहने 108 कलशधारी समेत गांव के सैकड़ों श्रद्धालु महिला, पुरुष व बच्चें शामिल हुए। यज्ञ स्थल से निकला कलश यात्रा गांव का भ्रमण करते हुए पश्चिम शिवालय पहुंचे। कलश यात्रा का शुभारंभ आयोजन समिति की सुधा भारद्वाज अनुराधा भारद्वाज एवं रोहित सिंह के द्वारा किया गया कलश यात्रा में महिलाएं एवं युवतियां पीले परिधान में कलश के साथ शामिल हुई।

वहीं रथ पर गायत्री माता का रूप धारण कर युवतियां कलश यात्रा की शोभा बढ़ा रही थी। पश्चिम शिवालय के पास पहुंचे श्रद्धालुओं ने वरुण देवता की पूजा कर जलभरी कर यज्ञ स्थल पर वापस लौटीं। जहां गायत्री परिवार की परंपरा के अनुसार यज्ञ की विधिवत शुरूआत की गई। वही पूजा-अर्चना के बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जहां सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इस दौरान दूर दराज और अन्य राज्यों से भी गायत्री शक्तिपीठ के श्रद्धालु इस कलश यात्रा में शामिल होने पुराना भोजपुर आए थे। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के उल्लास और शोभा यात्रा की सजावट से पूरा क्षेत्र भक्तिमय दिख रहा था। शोभायात्रा में यज्ञस्थल से जलभरी स्थल तक प्रशासनिक सजगता दिखी। नया भोजपुर ओपी थानाध्यक्ष मुकेश कुमार और सहायक थाने की टीम पैदल ही गश्त करती हुई शोभायात्रा के आगे आगे चल रही थी। पूजा-अर्चना के बाद संध्याकाल में प्रवचन का आयोजन किया गया जिसमें गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी रामानंद तिवारी ने अपने प्रवचन किया। संध्याकालीन कथा को संबोधित करते हुए कथावाचक ने कहा कि यह कार्यक्रम मानव में देवत्व और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के निमित हो रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कार में गिरावट के कारण आज मनुष्य में पशुता वास कर गई है। गायत्री महायज्ञ उसी पशुता को दूर करने का एक वैज्ञानिक प्रयोग है। इस महायज्ञ से जहां अज्ञानियों में भी ज्ञान का वास होता हैं, वही बिगड़े हुए सारे कामों के रास्ते स्वयं खुल जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज वातावरण में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और

ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य का विचार ज्यादा प्रदूषित हो गया है। इस प्रदूषण को किसी दवा या वैज्ञानिक यंत्र द्वारा दूर नहीं किया जा सकता। यह केवल गायत्री महामंत्र के जाप से ही दूर हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रज्ञापुराण की कथा वैज्ञानिक अध्यात्मवाद का एक नया प्रयोग है, जिसमें मानव जाति के समस्त समस्याओं का समाधान छुपा हुआ है। महायज्ञ के संकल्प से क्षेत्र के हर घर में समृद्धि व शांति की भावना उत्पन्न होती है। सद्विचार एवं श्रेष्ठ आचरण द्वारा व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और युग निर्माण का सपना ऐसे महायज्ञ का आयोजन कर साकार किया जा सकता है। इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों में रामजी सिंह, उदय सिंह, खुशी भारद्वाज, सबी भारद्वाज, विमलेश कुमार सिंह, उमेश गुप्ता रौनियार, दिनेश केसरी, आशीष गौतम, कृष भारद्वाज, कुंदन कुमार, आशीष कुमार, उमा देवी, गणेश भारद्वाज, ओमप्रकाश शर्मा, सहित अन्य कई उपस्थित रहें।