20 महीने से बकाया मानदेय पर स्कूलों के सफाई कर्मियों का फूटा गुस्सा

सरकारी स्कूलों की स्वच्छता व्यवस्था को संभालने वाले सफाई कर्मी आज खुद बदहाली और शोषण की मार झेल रहे हैं। राजपुर प्रखंड के सभी सरकारी विद्यालयों में कार्यरत सफाई कर्मियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताते हुए साफ संदेश दिया है कि अब चुप्पी नहीं, संघर्ष होगा। आरोप है कि निजी ठेका कंपनी के जरिए नियुक्त इन कर्मियों को पिछले करीब 20 महीनों से नियमित मानदेय नहीं दिया गया है, जिससे उनका जीवन संकट में आ गया है।

20 महीने से बकाया मानदेय पर स्कूलों के सफाई कर्मियों का फूटा गुस्सा

केटी न्यूज/राजपुर

सरकारी स्कूलों की स्वच्छता व्यवस्था को संभालने वाले सफाई कर्मी आज खुद बदहाली और शोषण की मार झेल रहे हैं। राजपुर प्रखंड के सभी सरकारी विद्यालयों में कार्यरत सफाई कर्मियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताते हुए साफ संदेश दिया है कि अब चुप्पी नहीं, संघर्ष होगा। आरोप है कि निजी ठेका कंपनी के जरिए नियुक्त इन कर्मियों को पिछले करीब 20 महीनों से नियमित मानदेय नहीं दिया गया है, जिससे उनका जीवन संकट में आ गया है।सफाई कर्मियों का कहना है कि जिस कंपनी आरएस इंटरप्राइजेज के माध्यम से उन्हें बहाल किया गया, वह समय पर भुगतान तो दूर, वेतन मांगने पर 1000 से 1500 रुपये थमाकर टाल देती है।

कई बार आवाज उठाने पर कर्मियों को धमकाया भी जाता है कि जो करना है कर लो, कुछ नहीं मिलेगा। इससे कर्मियों में भारी आक्रोश है।एआईवाईएफ के राज्य उपाध्यक्ष सह सीपीआई नेता अधिवक्ता रितेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुई बैठक में इस पूरे मामले को ठेका व्यवस्था की खुली लूट करार दिया गया। रितेश श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार द्वारा स्कूलों की सफाई जैसी बुनियादी जरूरत को निजी कंपनियों के हवाले कर देना मजदूरों के शोषण का रास्ता खोल देता है। कंपनी लाभ कमाने में लगी है और मजदूरों को महीनों तक मेहनताना नहीं मिल रहा, यह गंभीर अपराध है।

सफाई कर्मियों ने बताया कि अपनी पीड़ा को लेकर वे कई बार विभागीय अधिकारियों को लिखित आवेदन दे चुके हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर लेबर कोर्ट डालमियानगर में भी आवेदन दिया गया है, जहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है। इससे प्रशासनिक उदासीनता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।यह समस्या सिर्फ राजपुर प्रखंड तक सीमित नहीं है। जिले के लगभग सभी प्रखंडों में स्कूलों के सफाई कर्मियों की हालत एक जैसी बताई जा रही है। महीनों से वेतन नहीं मिलने के बावजूद ये कर्मी स्कूलों की सफाई कर व्यवस्था को बनाए हुए हैं।

बैठक में मौजूद सभी सफाई कर्मियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अगर जल्द मानदेय का भुगतान और नियमित वेतन की व्यवस्था नहीं की गई, तो जनवरी महीने में जिलेस्तरीय बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और ठेका कंपनियों की होगी।