लैंगिक समानता पर संवेदीकरण कार्यक्रम, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर जोर
मऊ। लैंगिक समानता का अर्थ है महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार, अवसर, और सुरक्षा मिलना। यह जरूरी नहीं है कि पुरुष और महिलाएं एक जैसे हों, बल्कि समान अवसरों का मिलना महत्वपूर्ण है।
केटी न्यूज़/ मऊ
मऊ। लैंगिक समानता का अर्थ है महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार, अवसर, और सुरक्षा मिलना। यह जरूरी नहीं है कि पुरुष और महिलाएं एक जैसे हों, बल्कि समान अवसरों का मिलना महत्वपूर्ण है। लैंगिक असमानता का असर सिर्फ महिलाओं पर नहीं, बल्कि पुरुषों, ट्रांसजेंडर और लिंग-विविध लोगों पर भी पड़ता है। इसका असर परिवारों और समाज के सभी वर्गों पर पड़ता है।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने से न केवल समाज में खुशहाली आएगी, बल्कि इससे मातृ शिशु मृत्यु दर को भी कम किया जा सकेगा। किशोरियों की असमय मृत्यु को रोकने के लिए यह जरूरी है कि समाज में लिंग आधारित भेदभाव न हो। यह संदेश शहरी समन्वय समिति की बैठक में लैंगिक समानता पर आयोजित संवेदीकरण कार्यक्रम के दौरान दिया गया।
बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक शॉर्ट फिल्म के माध्यम से लैंगिक समानता और स्वास्थ्य सेवाओं के बीच कड़ी को दिखाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन पीएसआई इंडिया संस्था के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग ने सीएमओ कार्यालय के सभागार में किया था। इसमें शहर के प्रमुख प्लेटफार्मों पर लैंगिक समानता के लिए जागरूकता फैलाने की अपील की गई।
बैठक में सभी शहरी स्वास्थ्य केंद्रों और बैठकों में लिंग संवेदीकरण सत्रों को शामिल करने की बात कही गई। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया कि दंपतियों को स्वास्थ्य सेवाओं में भागीदारी के लिए एकजुट किया जाए। महिलाओं और पुरुषों दोनों को परिवार नियोजन के विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने का आग्रह किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने की, जबकि संवेदीकरण की प्रस्तुति पीएसआई इंडिया की राज्य प्रतिनिधि इप्शा सिंह ने की। डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि शॉर्ट फिल्म के जरिये यह संदेश दिया गया कि अगर महिलाओं को विवाह और गर्भधारण के फैसलों में समान अधिकार मिले, तो कम उम्र में गर्भधारण और अनचाहे गर्भ से होने वाली मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है।
नोडल अधिकारी डॉ. बी. के. यादव ने संवेदीकरण के दौरान सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) पांच के बारे में विस्तार से बताया। इस गोल का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करना है और उनके खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा और शोषण को रोकना है।
कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएन सिंह, जिला कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर संतोष सिंह, एनयूएचएम कोऑर्डिनेटर देवेन्द्र प्रताप, पीएसआई-इंडिया के प्रतिनिधि केवल सिंह सिसौदिया और रितिका मिश्रा समेत अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।